COVID-19 UPDATES:- प्रधानमंत्री MODI का टीका COVAXIN ही क्यों?? टीकाकरण अभियान में नहीं आई तेजी तो SII को लग सकता है तगड़ा झटका

COVAXIN
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भारत में 1 मार्च से दूसरे दौर के टीकाकरण अभियान की शुरुआत हो चुकी है.

इस टीकाकरण के लाभार्थी के तौर पर प्रधानमंत्री मोदी 1 मार्च कि सुबह दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान(AIIMS) पहुंचे और कोरोना का टीका लगवाया.

वैसे तो यह एक साधारण सी बात है आप कहेंगे प्रधानमंत्री का टीका लगवाना साधारण सी बात कैसे हो सकती है तो इसके पीछे तर्क यह है कि दूसरे दौर यानी 1 मार्च से जिस टीकाकरण अभियान की शुरुआत हुई है उसके लिए लाभार्थियों यानी जिनको टीका दिया जाएगा उनके लिए कुछ मापदंड तय किए गए हैं.

इन मापदंडों के अनुसार जिन लोगों की उम्र 60 साल से अधिक है या फिर जिनकी उम्र 1 जनवरी 2022 को 60 साल की होगी साथ ही साथ जिनकी उम्र 45 साल या इससे अधिक है और अगर उन्हें गंभीर बीमारियां हैं तो वे लोग टीका लगवा सकते हैं.

कौन-कौन सी गंभीर बीमारियों वाले लोग इस टीकाकरण में शामिल होंगे इसकी चर्चा हम आगे करेंगे.

मालूम हो कि प्रधानमंत्री मोदी की उम्र 60 साल से ज्यादा है इसलिए वह भी इस टीकाकरण अभियान के लाभार्थियों के दायरे में आते हैं.

यह तो हुई साधारण सी बात अब आते हैं उस बात पर जिसके कारण प्रधानमंत्री का टीका लगवाना चर्चा का विषय बन गया.

इसके पीछे जो कारण है वह यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जो टीका दिया गया वो टीका भारत बायोटेक की Covaxin है.अब सवाल यह उठता है कि आखिर प्रधानमंत्री ने Covaxin को ही क्यों चुना!!

वैसे तो यहां एक बात साफ़ कर देना बेहद जरूरी है कि किसे कौन सा टीका लगाया जाएगा इसका चुनाव वह व्यक्ति नहीं कर सकता जिसको टीका लगाया जा रहा है.

इसलिए प्रधानमंत्री को टीके के रूप में Covaxin का दिया जाना महज एक संयोग हो सकता है.

लेकिन जब बात प्रधानमंत्री की आती है तो अनेक सवाल उठते हैं और अनेक कयास भी लगाए जाते हैं. कभी-कभी ये निराधार होते हैं और कभी-कभी इसके पीछे कुछ सच्चाई भी होती है.

Covaxin पर अफवाह और विवाद:-

Covaxin को आपातकालीन मंजूरी दी गई थी जिसके बाद इस वैक्सीन को लेकर अनेकों सवाल उठाए गए थे.

सबसे बड़ा सवाल इस वैक्सीन के ट्रायल को लेकर था. Covaxin को जब मंजूरी दी गई थी उस समय इसके सभी ट्रायल पूरे नहीं हुए थे. जबकि दूसरी वैक्सीन Covisheild ने अपने तीनों ट्रायल पूरे कर लिए थे.

मालूम हो कि भारत सरकार ने कोरोना के vaccination लिए दो वैक्सीन को मंजूरी दी थी. सिरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की Covishield और Bharat Biotech की Covaxin.

कोवैक्सीन के ट्रायल को लेकर 2 मार्च 2021 तक पूर्ण डाटा उपलब्ध नहीं था. लेकिन अगर असर की बात करें तो को Covidshield को Covaxin से ज्यादा असरकारी माना जा रहा है. COVISHIELD की EFFICIENCY पर वैज्ञानिकों का दावा है कि ये 70 से 90% तक है.

शुरुआती दौर में Covaxin को लेकर कुछ डॉक्टर एसोसिएशन ने तो यहां तक कह दिया था कि हम सिर्फ और सिर्फ Covishield ही लेंगे covaxin नहीं.

मीडिया रिपोर्ट की मानें तो सरकार ने जब कोवैक्सीन को मंजूरी दी थी तब यह कहा था कि यह आपातकालीन इस्तेमाल के लिए है इसे बैकअप के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा. बाद में कंपनी ने इन दावों को खारिज कर दिया था.

कोवैक्सीन को लेकर एक विवाद उस समय भी उत्पन्न हो गया था जब सिरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के अदार पूनावाला ने कहा था कि Covishield को छोड़कर कोई भी vaccine  कोरोना पर असरकारी नहीं है.

बता दें ओक्स्फोर्ड द्वारा विकसित वैक्सीन का, सिरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ( SII ) द्वारा Covishield के नाम से भारत में उत्पादन किया जा रहा है.

वहीं स्वदेशी COVAXINE जिसे की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिया गया है उसे BHARAT BIOTECH और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने विकसित किया है.

टीकाकरण प्रक्रिया के दौरान जब किसी को COVAXIN दी जा रही है तो इसके लिए एक consent फॉर्म भरवाया जा रहा है जिसमें लिखा है अगर टीका की वजह से किसी तरह का बुरा प्रभाव या गंभीर प्रभाव पड़ता है तो टीका लगवाने वाले का भारत सरकार द्वारा तय किए गए मानकों के अनुसार प्राधिकृत केंद्रों या अस्पतालों में इलाज किया जायेगा.

CONSENT COVAX द भारत बंधु

ऐसा एहतियात के तौर पर किया जा रहा था क्योंकि कोवैक्सीन ट्रायल के दौर में था.

लोग कयास लगा रहे हैं कि भय और संदेह पर विराम लगाने के लिए ही प्रधानमंत्री मोदी को Covaxin दिया गया ना कि Covisheild.

अगर प्रधानमंत्री द्वारा टीका लिए जाने के बाद भारत बायोटेक के एमडी और स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन के बयानों पर गौर करें तो इस बात को और बल मिलता है.

भारत बायोटेक के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ श्री कृष्णा एल्ला ने कहा कि प्रधानमंत्री ने खुद हमारी वैक्सीन(Covaxin) लगवाई और हम इस बात को लेकर बेहद खुश हैं. उन्होंने देश के सामने एक मिसाल पेश किया है.जो लोग वैक्सीन लगवाने से डर रहे थे अब वह आगे आएंगे और अब उनके बीच भरोसा बनाने में मदद मिलेगी.

वहीं कोवैक्सीन के संदर्भ में डॉक्टर हर्षवर्धन ने कहा कि मोदी जी ने स्वदेशी कोवैक्सीन लगवा कर देश को स्पष्ट संदेश दिया है साथ ही साथ इससे संबंधित हर प्रकार के दुष्प्रचार को ही खत्म किया है. स्वदेशी वैक्सीन को लेकर जो भी आशंकाएं और हिचकिचाहट थी अब शायद दूर हो जाएंगी.

इन बयानों को देखने के बाद तो ऐसा लगता है प्रधानमंत्री को कोवैक्सीन दिया जाना महज एक संयोग नहीं माना जा सकता.

सरकार से एक सवाल तो जरूर पूछा जाना चाहिए कि जिन व्यक्तियों को कोरोना के टीके के रूप में अब तक कोवैक्सीन लगाई गयी है उनको लाभार्थी बोला जाए या फिर इसके लिए एक नया शब्द स्वैच्छिक वालंटियर का चुनाव करना सही रहेगा.

ऐसा इसलिए क्योंकि कोवैक्सीन 2 MARCH तक ट्रायल के तीसरे फेज में था. वैसे अगर देखा जाए तो लोगों में टीकाकरण के प्रति विश्वास जगाने के लिए प्रधानमंत्री का आगे बढ़कर टीकाकरण में हिस्सा लेना एक जरूरी कदम था.

लेकिन विज्ञान के क्षेत्र में किसी भी चीज की विश्वसनीयता उसकी प्रमाणिकता है और प्रमाणिकता के लिए प्रचार-प्रसार नहीं बल्कि कठिन अनुसंधान पर आधारित आंकड़ों की आवश्यकता होती है.

Covaxin के तीसरे फेज के ट्रायल के नतीजे हुए जारी :-

3 मार्च 2021 को भारत बायोटेक ने कोवैक्सीन को लेकर चल रहे तीसरे फेज के ट्रायल के नतीजे घोषित कर दिए हैं.

मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ के हवाले से बताया गया है कि ट्रायल के तीसरे फेज के जो नतीजे आए हैं वह बेहद ही चौंकाने वाले हैं और उम्मीद से कहीं ज्यादा बेहतर हैं. इन नतीजों की माने तो इस वैक्सीन की क्षमता 81% तक है.

वहीं वैक्सीन निर्माण करने वाली कंपनी Bharat Biotech ने बताया है कि 25800 लोगों को ट्रायल के थर्ड फेज में शामिल किया गया था.

ट्रायल में शामिल लोगों को स्वदेशी टीके covaxin की दूसरी डोज के बाद इसकी क्षमता यानी कोविड-19 से लड़ने में इसकी ताकत 81% तक देखी गई.

मालूम हो कि इस ट्रायल को भारत बायोटेक ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के साथ मिलकर किया है.

तीसरे फेज के ट्रायल के नतीजों के प्रकाशित होने के बाद शायद अब स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन पर लोगों का भरोसा पहले से और बेहतर होने की उम्मीद है.

दूसरे दौर के टीकाकरण के लिए कौन-कौन से लोग पात्र हैं और इसके लिए क्या-क्या प्रक्रियाएं हैं

वह सभी भारतीय नागरिक जो 60 वर्ष से ज्यादा उम्र के हैं या 1 जनवरी 2022 को 60 साल के हो जाएंगे साथ ही साथ जिनकी उम्र 1 जनवरी 2022 की स्थिति में 45 से 59 वर्ष है और उन्हें सरकार द्वारा चिन्हित 20 गंभीर बीमारियों में से कोई बीमारी है वे सभी दूसरे दौर के टीकाकरण अभियान के लिए पात्र होंगे.

टीकाकरण में शामिल होने के लिए आधार कार्ड, चुनावी फोटो पहचान पत्र पैन कार्ड ड्राइविंग लाइसेंस पासपोर्ट एनपीआर स्मार्ट कार्ड या पेंशन डॉक्यूमेंट को दिखाया जा सकता है.

भारत के नागरिक कोविन पोर्टल ( https://cowin.gov.in) पर अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं.

रजिस्ट्रेशन के बाद कोविन पोर्टल पर लाभार्थी का अकाउंट बन जाएगा. इस पोर्टल पर उस व्यक्ति का पूरा रिकॉर्ड रखा जाएगा.

मालूम हो कि एक फोन नंबर से ज्यादा से ज्यादा 4 अकाउंट बनाया जा सकता है.

अब बात आती है कि क्या अकाउंट बनाने के बाद उसमें कोई फेरबदल किया जा सकता है तो इसका जवाब है हां लेकिन इसके लिए जरूरी है कि आपको वैक्सीन लगने के पहले यह काम करना होगा.

लेकिन वैक्सीन लगने के बाद ना तो अकाउंट डिलीट होगा और ना ही उसमें किसी भी प्रकार का बदलाव किया जा सकता है.

45 से 59 साल के लोगों के लिए जो सरकार ने बीमारियों की सूची जारी की है उसमें से कुछ प्रमुख बीमारियां हैं:-

डायबिटीज, हाइपरटेंशन, किडनी, लीवर ल्यूकेमिया,एचआईवी, बोन मैरो फेल्योर, हार्ट डिजीज इत्यादि. इसके लिए एक फॉर्म जारी किया गया है जिसे रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर से प्रमाणित करवाना होगा तभी आप दूसरे दौर के वैक्सीनेशन के लिए पात्र माने जाएंगे.

एक बात और जो बहुत ही जरूरी है वह यह है कि सभी सरकारी केंद्रों पर जिसे की सरकार ने टीकाकरण के लिए चिन्हित किया है वहां मुक्त टीकाकरण की व्यवस्था है.

वहीं प्राइवेट अस्पतालों में सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य चुका कर कर टीके को लिया जा सकता है. सरकार ने प्राइवेट अस्पतालों के लिए प्रति टीका ₹250 निर्धारित किया है.

प्रत्येक व्यक्ति को दो टीके लगाए जाने हैं. इसमें पहले और दूसरे टीके के बीच का अंतर 21 से 28 दिन का होगा.यह भी जरूरी है कि जिस व्यक्ति ने पहला टीका जिस कंपनी का लिया है उसे दूसरा टीका भी उसी कंपनी का लगाया जाएगा.

टीकाकरण की प्रक्रिया में तेजी लाना आवश्यक है अगर ऐसा नहीं हुआ तो अदार पूनावाला की SII को उठाना पड़ सकता है भारी नुकसान:-

मालूम हो कि सरकारी मंजूरी से पहले ही आधार पूनावाला की कंपनी सिरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने 20 करोड़ वैक्सीन के डोज बना लिए थे.

इसमें से 25% डोज अगले महीने यानी अप्रैल में एक्सपायर हो जाएंगे. इस कारण अगर टीकाकरण की प्रक्रिया में तेजी नहीं आई तो अदार पूनावाला को तगड़ा झटका लग सकता है.

मालूम हो कि विदेशी फंडिंग और पर्सनल फाइनेंशियल रिस्क के जरिए अदार पूनावाला ने इतनी ज्यादा मात्रा में वैक्सीन बनाई है.

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