Two Trains Collide:जानिए आज रेलवे क्यों कराएगी दो ट्रेनों की टक्कर हैरत की बात तो यह है कि जिस दो ट्रेनों की टक्कर होगी उसमें से एक में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव खुद होंगे सवार
आज तेलंगाना के सिकंदराबाद(Sikandrabad) रेलवे द्वारा तेज गति से चलने वाली 2 ट्रेनों(High Speed Trains) के बीच टक्कर कराई जाएगी. यह मामला बेहद ही रोचक है क्योंकि जिन दो ट्रेनों की टक्कर कराई जा रही है उसमें से एक ट्रेन में खुद रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव(Ashwini Vishnaw) सवार होंगे. जबकि दूसरी ट्रेन में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन और कई अन्य बड़े अधिकारी सवार होंगे.
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Hon'ble MR Shri @AshwiniVaishnaw witnessed the successful trial of 'KAVACH'- an indigenously designed Automatic Train Protection system.
Signal Passing at Danger (SPAD) test demonstrated how KAVACH restricted locomotive to cross red signal.#BharatKaKavach pic.twitter.com/v2d9HQutGJ
— Ministry of Railways (@RailMinIndia) March 4, 2022
अब सबसे बड़ी बात यह भी है कि रेलवे(Railway)आखिर ऐसा क्यों करने जा रहा है. इसके पीछे रेलवे की सुरक्षा से जुड़ी एक अहम तैयारी है. जिसमें रेलवे यह साबित करेगा कि भारत में ट्रेनों के बीच होने वाली दुर्घटनाओं को कम करने के लिए या फिर यूं कहें पूरी तरह से समाप्त करने के लिए उसकी तैयारी कैसी है.
आज दो ट्रेनों के बीच होने वाली टक्कर में रेलवे एंटी कॉलेजन डिवाइस का इस्तेमाल करने वाली है यह स्वदेश विकसित स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली(ATP) है. इसलिए देसी कवच(Kavach) कहा जा रहा है. इस कवच को एक ट्रेन को स्वतः रोकने के लिए बनाया गया है.
जैसे ही ट्रेन में या फिर सिग्नल में किसी प्रकार की गड़बड़ी की सूचना मिलेगी और अगर ड्राइवर ट्रेन को रोकने में अक्षम है तो यह स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली ट्रेन को स्वतः रोक देगी और इससे जानमाल को क्षति होने से बचाया जा सकेगा.
रेलवे अधिकारियों ने यह बताया है कि जब कोई ट्रेन ऐसे सिग्नल से गुजरती है जहां उसे गुजरने की अनुमति नहीं होती है तो इस डिवाइस द्वारा खतरे का सिग्नल भेजा जाता है और अगर ट्रेन चलाने वाला ड्राइवर जिसे कि लोको पायलट कहते हैं ट्रेन को रोकने में सफल नहीं हो पाता है तो फिर यह कवच ट्रेन को रोकने में सक्षम होता है.
बताते चलें कि इस तकनीक के लिए आत्म निर्भर भारत के तहत बजट में घोषणा की गई थी. अभी इसके लिए 2000 किलोमीटर रेलवे नेटवर्क को दायरे में लाया गया है. जल्द ही कवच को दिल्ली मुंबई और दिल्ली हावड़ा कॉरिडोर जिसकी लंबाई 3000 किलोमीटर है उस पर भी लागू किया जाएगा.
इस सिस्टम को लागू करने के लिए रेलवे द्वारा 5000000 रुपए प्रति किलो मीटर खर्च किया जाएगा. अगर दुनिया के दूसरे देशों की बात करें तो उसकी तुलना में भारत में या खर्च बेहद ही कम है क्योंकि ऐसी ही तकनीक के लिए दूसरे देशों में दो करोड़ से भी अधिक रुपए का खर्च आता है.
रेलवे के अधिकारियों ने बताया है कि जब किसी डिजिटल सिस्टम में कोई खराबी आएगी तो कवच सिस्टम के द्वारा उसे तुरंत ही डिटेक्ट कर लिया जाएगा और ट्रेन स्वतः रुक जाएगी.