LAC पर भारतीय सेना और चीनी सेना के बीच कोई सहमति बनती नहीं दिख रही है. दोनों देशों की सेनाओं के बीच 13 वें दौर की बातचीत भी बिना किसी परिणाम पर पहुंचे समाप्त हो गई. भारतीय सेना ने LAC और उसके आस-पास के इलाकों को लेकर खासकर पूर्वी लद्दाख के मामले पर कुछ सुझाव चीनी सेना के सामने रखे थे. उन सुझाओं को चीनी सेना ने मानने से इनकार कर दिया है.
ऐसा यह पहली बार नहीं है जब चीनी सेना भारतीय सेना के सुझाव को मानने से इनकार किया हो. चीन कभी भी LAC को लेकर स्पष्ट नहीं रहा है. उसकी नीतियां हमेशा अस्पष्ट और उलझाने वाली रही हैं. भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख को लेकर स्पष्ट रूप से अपनी बात चीनी के सेना के सामने रखी थी.
China not agreeable to resolve remaining areas along LAC, no results in 13th round talks: Indian Army
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#India #China pic.twitter.com/lA9oBNJxEt— ANI Digital (@ani_digital) October 11, 2021
मालूम हो कि LAC और उसके आसपास के इलाकों में आए दिन चीनी सेना और भारतीय सेना के बीच झड़प की घटनाएं सामने आती रहती हैं. लेकिन अब चिंता का विषय यह है कि चीनी सेना भारतीय सीमा में घुसकर उपद्रव करने लगी है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कुछ दिन पहले चीनी सेना के 200 जवान भारतीय सीमा में घुस आए और उत्तराखंड के बाराहोती इलाके में एक पुल को नुकसान पहुंचाया. मीडिया रिपोर्ट की मानें तो चीनी सेना के जवान करीब 1 घंटे से भी ज्यादा वक्त तक भारतीय सीमा के भीतर रुके थे.
वहीं बीते दिन अरुणाचल प्रदेश में चीनी सेना के जवानों ने यही हिमाकत दोहराने की कोशिश की जिसे कि भारतीय सेना के जवानों ने नाकाम कर दिया. वैसे भारतीय सेना ने तो किसी भी चीनी सैनिक को बंधक बनाने की घटनाओं से इनकार किया है. लेकिन कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो कुछ देर के लिए चीनी सेना के जवानों को बंधक बनाया गया था लेकिन समझौते के बाद उन्हें छोड़ दिया गया.
मालूम हो कि चीन और भारत के बीच सीमाओं को लेकर अक्सर विवाद की घटनाएं होती रहती है. क्योंकि दोनों देश के बीच सीमाओं का भौगोलिक स्वरूप इस प्रकार से है कि यह पता नहीं चल पाता कि वास्तविक सीमा कहां तक है.
सीमाओं की अस्पष्टता के कारण दोनों देश के सैनिक पेट्रोलिंग के दौरान भटक कर सीमाओं का उल्लंघन कर देते हैं. लेकिन भटक कर सीमाओं का उल्लंघन करना और जानबूझकर भारत की संप्रभुता को खतरा पहुंचाना दोनों अलग-अलग बातें हैं.
चीन हमेशा से अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख के कुछ हिस्सों पर अपना अधिकार जताता आया है. इसी को लेकर नत्थी वीजा भी प्रमुख मसला था और अभी भी बरकरार है.
अफगानिस्तान से अमेरिका के निकलने के बाद चीन और पाकिस्तान का हस्तक्षेप वहां ज्यादा बढ़ गया है. जिस कारण भारत और चीन के बीच जो तल्खी पहले से चली आ रही थी वह और भी ज्यादा बढ़ गई है.
चीन और अमेरिका एक दूसरे के प्रतिद्वंदी हैं और भारत का झुकाव अमेरिका की तरफ होने साथ ही एशिया में खासकर दक्षिण एशिया में भारत के दबदबे को चीन अपनी असुरक्षा से जोड़कर देखता है.
बीते दिनों उत्तराखंड के बाराहोती इलाके में चीन की घुसपैठ ने भारतीय सेना को सतर्क कर दिया है. क्योंकि यह वही इलाका है जहां 1962 के युद्ध से पहले चीन ने घुसपैठ की थी.
वैसे 1962 की स्थिति और 2021 की स्थिति में अब बहुत ही भिन्नता है. अब भारत एक शक्ति संपन्न राष्ट्र है और चीन के किसी भी हिमाकत का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए हमेशा तैयार है.
लेकिन भारत के लिए चिंता का विषय यह है कि चीन अपनी नापाक हरकतों को पूरा करने के लिए पाकिस्तान को अपने साथ ले सकता है. या फिर इसको ऐसे कहें कि पाकिस्तान अपनी ओछी हरकतों को अंजाम देने के लिए चीन का कंधा इस्तेमाल कर सकता है.
भारत की चिंता इस कारण और भी बढ़ गई है क्योंकि कश्मीर में फिर से एक बार आतंकवादी संगठन सक्रिय हो गए हैं. बीते दिनों कुछ ऐसी घटनाएं हुई हैं जिसमें खासकर घाटी में अल्पसंख्यक लोगों को आतंकवादी संगठन अपना शिकार बना रहे हैं.
आम जनमानस में एक डर का माहौल पैदा हो गया है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि कश्मीर में फिर 90 का दौर वापस आ जाए.जब कश्मीरी पंडितों सहित अन्य अल्पसंख्यकों को घाटी छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा था. धारा 370 हटने के बाद कश्मीर की स्थिति सुधरने लगी थी लेकिन एक बार फिर से वहां की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है.
भारतीय सेना के जवानों ने कश्मीर में लगभग 700 लोगों को कब्जे में लिया है और माना जा रहा है कि पिछले दिनों हुए आतंकी घटनाओं में इन लोगों की संलिप्तता है. वहीं आज कश्मीर में एक मुठभेड़ के दौरान दो आतंकवादियों को सेना के जवानों ने मार गिराया.
मारे गए दोनों आतंकवादियों के बारे में सेना का कहना है कि यह दोनों आतंकवादी बीते दिनों हुए आतंकवादी हमले में शामिल थे. मालूम हो कि बीते दिनों एक सरकारी स्कूल के 2 टीचरों को गोली मार दी गई थी. साथ ही उससे पहले कश्मीर घाटी में ही एक चर्चित समाजसेवी एवं केमिस्ट की भी हत्या आतंकवादियों ने कर दी थी.
अभी तक घाटी में 7 आम लोगों की आतंकवादियों द्वारा हत्या की गई है. जिसमें अल्पसंख्यक समुदाय के लोग भी शामिल हैं. इन हत्याओं में एक हत्या बिहार के एक व्यक्ति की भी हुई है. यह व्यक्ति बिहार के भागलपुर का रहने वाला था.
कुछ मीडिया रिपोर्ट और अतिवादी लोग इन हत्याओं को सिर्फ कश्मीर में निवास करने वाले अल्पसंख्यकों पर हमले के रूप में चर्चित कर रहे हैं. जबकि ऐसी बात नहीं है. मारे गए लोगों में मुस्लिम भी शामिल हैं.
आतंकवादी उन लोगों को निशाना बना रहे हैं जिन पर उन्हें शक है कि वह सरकार का समर्थन करते हैं या फिर सरकार के लिए खुफिया जानकारी इकट्ठा करते हैं.
साथ ही आतंकवादियों का मकसद है कि घाटी में फिर से दहशत का माहौल कायम हो. जिससे कि उनके नापाक मंसूबे कामयाब हो सके. इन घटनाओं को धारा 370 हटने के बाद कश्मीर में सरकार की उपलब्धियों को बदनाम करने की साजिश के तौर पर भी देखा जा रहा है.
कश्मीर में हो रही घटनाओं के पीछे पाकिस्तान के हाथ होने की भी प्रबल संभावना है. पाकिस्तान बार-बार अंतरराष्ट्रीय मंच पर कश्मीर का मुद्दा उठाता रहता है. और वह चाहता है कि किसी तरह से कश्मीर में दहशत का माहौल पैदा हो. जिससे कि वह भारत सरकार को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कटघरे में खड़ा कर सके