जम्मू कश्मीर(Jammu-Kashmir) विधानसभा सीटों(Assembly Seats) को बढ़ाने का प्रस्ताव परिसीमन आयोग(Delimitation Commission) ने दे दिया है. अगर यह प्रस्ताव हुआ लागू तो BJP को हो सकता है जबरदस्त फायदा.
जम्मू कश्मीर विधानसभा सीटों को बढ़ाने के लिए परिसीमन आयोग ने हरी झंडी दिखा दी है.
जम्मू कश्मीर के लिए गठित परिसीमन आयोग की सिफारिशों के अनुसार कश्मीर घाटी में 1 सीट बढ़ाने का प्रस्ताव है जबकि जम्मू में 6 सीटें बढ़ाने की सिफारिश की गई है.
अगर यह परिसीमन लागू होता है तो जम्मू में सीटों की संख्या बढ़कर 43 हो जाएंगे जबकि कश्मीर में 1 फीट में इजाफा होगा और यहां कुल सीटें 47 हो जाएंगी.
मालूम हो कि जम्मू कश्मीर में जम्मू में हिंदुओं की संख्या अधिक है तो कश्मीर में मुस्लिमों की अगर बात राजनीतिक पकड़ की करें तो बीजेपी की पकड़ जम्मू में बेहद ही मजबूत है.
वहीं कांग्रेस पीडीपी नेशनल कांफ्रेंस पार्टियों की पकड़ कश्मीर घाटी में जम्मू के मुकाबले बहुत ही ज्यादा है.
मालूम हो कि साल 2020 में जम्मू कश्मीर से धारा 370 को निरस्त कर, इसके स्पेशल स्टेटस को खत्म कर दिया गया था.
सिर्फ स्पेशल स्टेटस को ही खत्म नहीं किया गया बल्कि जम्मू कश्मीर से उसका राज्य का दर्जा भी छीन लिया गया और उसे एक संघ शासित प्रदेश(UT) बना दिया गया.
वही लद्दाख जो कि पहले जम्मू कश्मीर राज्य का एक अंग था, उसे भी जम्मू कश्मीर से अलग कर यूनियन टेरिटरी बना दिया गया.
परिसीमन आयोग की इस रिपोर्ट पर यह निश्चित है कि राजनीतिक टीका टिप्पणी की शुरुआत हो जाएगी क्योंकि जहां इससे बीजेपी को फायदा मिलता दिख रहा है वहीं अन्य पार्टियों को इसलिए सीधा सीधा नुकसान होगा.
अगर जम्मू कश्मीर राज्य को फिर से राज्य का दर्जा प्राप्त करने के संबंध में बात की जाए तो केंद्र सरकार ने यह साफ कहा है कि जम्मू-कश्मीर को UT बनाना कोई स्थाई फैसला नहीं है बल्कि जैसे ही हालात सामान्य होंगे तो इसे राज्य का दर्जा वापस कर दिया जाएगा.
अगर बात जम्मू कश्मीर के हालात की करें तो धारा 370 हटाने के बाद भी जम्मू कश्मीर में हालात सामान्य नहीं हुए हैं. बल्कि आतंकवादी घटनाएं कुछ हद तक बढ़ गई हैं.