Indian Students Not Allowed to Attend Conference In Austria: भारतीय छात्रों के लिए भारत निर्मित Vaccine बनी मुसीबत ऑस्ट्रिया ने कांफ्रेंस में शामिल होने की नहीं दी इजाजत

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Indian Students Not Allowed to Attend Conference in Austria: भारत में निर्मित Corona Vaccine को लेकर ऑस्ट्रिया(Austria) का दोहरा चरित्र वहां आयोजित होने वाली कॉन्फ्रेंस(Conference) में भारतीय छात्रों को शामिल होने की नहीं मिली अनुमति

Corona Vaccine  को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है. यह विवाद भारत में निर्मित वैक्सीन को लेकर है. मालूम हो कि भारत में 9  वैक्सीन को मान्यता मिली है. जबकि लोगों को अभी तक तीन कंपनियों की वैक्सीन ही दी जा रही है.

जिन कोरोना वैक्सीन का इस्तेमाल भारत में अभी तक हुआ है या हो रहा है उसमें  Covishield, Covaxin और रूस की स्पूतनिक शामिल है. लेकिन ज्यादातर भारतीयों को Covishield और Covaxin की खुराक ही दी गई है और दी जा रही है.

ऑस्ट्रिया(Austria) का कहना है कि हम भारतीय छात्रों को कॉन्फ्रेंस जिसे की जनरल असेंबली(General Assembly) कहते हैं उसमें शामिल होने की इजाजत नहीं दे सकते.. क्योंकि यूरोपियन यूनियन(European Union) सिर्फ पांच Vaccine को ही मान्यता दिया है. जिसमें भारत में निर्मित वैक्सीन शामिल नहीं है.

बताते चलें कि भारत में निर्मित वैक्सीन Covishield जिसको एस्ट्रेजनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के सहयोग से बनाया गया है और भारत में इसका उत्पादन सिरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा किया जा रहा है.

Covishield वैक्सीन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा मान्यता प्राप्त है. सबसे मजे की बात यह है कि एक और Vaccine Vaxzevria जिसे कि ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका ने ही बनाया है उसे ऑस्ट्रिया में 29 जनवरी 2021 से ही इजाजत है. इस कारण सवाल यह भी उठता है कि जब दोनों  ही वैक्सीन का निर्माण एक ही संस्थान द्वारा किया गया है फिर उत्पादन के आधार पर या भेदभाव क्यों.

मालूम हो कि ऑस्ट्रिया में यूरोपियन जिओ साइंस यूनियन (European Geo Sciences Union) की सालाना कांफ्रेंस में हर साल 400 के करीब भारतीय छात्र-छात्राएं शिरकत करते हैं और भारत के मेधावी छात्र-छात्राओं को इस कांफ्रेंस में शामिल होने की बड़ी शिद्दत से इंतजार रहता है.

ऐसे में ऑस्ट्रिया(Austria) द्वारा भारतीय छात्र छात्राओं को लेकर लिया गया यह फैसला निश्चित रूप से छात्र-छात्राओं को निराश और हताश करने वाला फैसला है. अब देखना यह है कि भारत सरकार(Indian Government) इस पर क्या रुख अख्तियार करती है.

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