Farm Laws Again: क्या कृषि कानूनों की बैक डोर से होगी एंट्री, कृषि मंत्री ने दिया बड़ा बयान

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Farm Laws Again: कृषि कानूनों(Farm Laws) को लेकर फिर से एक बड़ा विवाद खड़ा होता नजर आ रहा है, हो सकता है कृषि कानूनों को बैक डोर से इंट्री दी जाए, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बयान से देशभर में चर्चा गर्म

कृषि कानूनों(Farm Laws) पर सरकार और किसान नेताओं के बीच सहमति बनने के बाद भी एक बार फिर से कृषि कानून को लेकर विवाद उत्पन्न होता हुआ नजर आ रहा है.

आज कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने एक बयान दिया. जिसके बाद फिर से इस चर्चा ने जोर पकड़ ली है कि कहीं ऐसा तो नहीं सरकार फिर से कृषि कानून को बैक डोर एंट्री(Back Door Entry) देने की फिराक में है.

कृषि मंत्री ने अपने बयान में कहा है कि हम एक कदम पीछे हटे हैं और कृषि क्षेत्र में यह बहुत बड़ा सुथार था जिसे की कुछ लोगों के विरोध के कारण वापस लिया गया है.

इस बयान के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. ऐसा लग रहा है कि सरकार को यूपी चुनाव में इस बात का भय है कि सरकार की छवि को लेकर लोग सवाल पूछे कि सरकार जो किसी मुद्दे पर नहीं झुकती थी उसे किसानों ने झुका दिया.

मालूम हो कि बीते 19 नवंबर को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि को वापस लेने की घोषणा की थी और संसद के  शीतकालीन सत्र में इस वापसी को स्वीकार किया गया और 1 दिसंबर 2021 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी इस स्वीकारोक्ति पर अपनी मुहर लगा दी.

किसान नेता यह पहले से कहते आ रहे थे कि हो सकता है सरकार कानूनों को फिर से बैक डोर से एंट्री कराएं. लेकिन आज कृषि मंत्री के इस बयान ने इस बात पर और संदेह उत्पन्न कर दिया है कि हो सकता है सरकार इन कानूनों को फिर से किसी अन्य रूप में लेकर वापस आ जाए.

किसान नेताओं का हमेशा से आरोप रहा है कि सरकार व्यापारियों की हिमायती रही है और सरकार के लगभग सभी कदम व्यापारियों के हित में ही उठते हैं. इस कारण अगर सरकार ने कृषि कानून संबंधित फिर से कोई बदलाव करती है तो किसानों का भरोसा सरकार से जरूर उठेगा.

मालूम हो कि किसान 1 साल से भी अधिक समय से दिल्ली के विभिन्न बॉर्डर पर किसान तीन कृषि कानूनों के विरोध में धरना प्रदर्शन कर रहे थे. जिसमें कई दौरों की बैठकों के बाद भी सरकार और किसानों के बीच कोई सहमति नहीं बनी.

लेकिन अचानक से 19 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा कर दी थी. जिसके बाद किसान नेताओं ने भी अपने आंदोलन को वापस लेने की घोषणा कर दी.

सरकार ने अपने आश्वासन में इन तीन क्र्षि कानूनों को वापस लेने की बात की थी और साथ-साथ एमएसपी पर एक कमेटी बनाने की भी घोषणा की थी. अब देखना यह है कि सरकार आगे और क्या निर्णय लेती है.

UP में चुनाव होने वाले हैं इसलिए सरकार का कोई भी कदम यूपी के चुनाव को प्रभावित कर सकता है, यह बात सरकार भी जानती है, खासकर पश्चिमी यूपी में किसानों का प्रभाव ज्यादा है।

वैसे कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के तेवर कृषि कानूनों के पास होने के बाद से ही बड़े ही तल्ख थे वह हमेशा से तीनों कृषि कानून को एक बड़े रिफॉर्म के तौर पर बताते रहे हैं.

साथ ही नरेंद्र मोदी सरकार के प्रत्येक मंत्री भी कृषि कानूनों को सही ठहराने के लिए हमेशा नए तर्कों के साथ सरकार के साथ खड़े नजर आए.

जबकि विपक्ष के लगभग सभी नेताओं ने और साथ ही विभिन्न राज्यों के किसान संगठनों ने इन तीनों कृषि कानूनों को काला कानून बतलाया था और सरकार से इसे पूर्ण रूप से वापस लेने की मांग की थी.

कृषि कानूनों के वापस हो जाने के बाद और किसानों और सरकार के बीच सहमति बन जाने के बाद नरेंद्र सिंह तोमर का ऐसा बयान क्यों आया यह तो नरेंद्र सिंह तोमर या फिर नरेंद्र मोदी ही बता सकते हैं.

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