DELHI में LOCKDOWN लगाने का फैसला इतना आसान नहीं था लेकिन जनता की भलाई के लिए हमें ऐसा करना पड़ रहा है: CM KEJRIWAL

LOCKDOWN IN DELHI DUE TO COVID 19 द भारत बंधु
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LOCKDOWN IN DELHI

DELHI के CM अरविंद केजरीवाल ने COVID-19 के बढ़ते संक्रमण के बीच दिल्ली में फिर से LOCKDOWN लगाने की घोषणा कर दी है.आज रात से लेकर अगले सोमवार तक दिल्ली में lockdown रहेगा.

WEEKEND CURFEW लगाए जाने के बाद से ही  ऐसे कयास लगाए जाने लगे थे कि दिल्ली में lockdown जैसी परिस्थिति उत्पन्न हो रही है लेकिन सीएम केजरीवाल ने लॉकडाउन लगाने से इनकार किया था.

वहीं आज CM केजरीवाल ने कहा है कि लॉकडाउन लगाने का निर्णय बहुत ही कठिन था लेकिन संक्रमण की बढ़ती तेज रफ्तार को देखते हुए यह फैसला लेना जरूरी था .

 

मुख्यमंत्री केजरीवाल ने खासकर मजदूर वर्गों से कहा है कि वे दिल्ली में ही बने रहें यह लॉकडाउन बहुत ज्यादा लंबा नहीं होगा और जहां तक हो सकेगा वह मजदूरों की मदद करेंगे.

उन्होंने इस बात को स्वीकारा है कि लॉकडाउन से सभी वर्गों को नुकसान उठाना पड़ता है और लॉकडाउन इस महामारी का समाधान भी नहीं है. लेकिन एहतियातन कुछ दिनों के लिए ऐसा करना जरूरी था.

मालूम हो कि दिल्ली में बीते दिन लगभग 24 हजार के करीब नए CORONA संक्रमित  मिले थे वहीं 161 लोगों की इस महामारी से मौत हो गई थी.

DELHI LOCKDOWN से जुड़ी जानकारी क्या खुलेगा क्या रहेगा बंद

आज रात 10:00 बजे से सोमवार 26 अप्रैल की सुबह 5:00 बजे तक 6 दिनों के लिए दिल्ली में लोक डाउन रहेगा.लेकिन लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि इसमें सभी जरूरी सेवाएं जारी रहेंगी.

खाने-पीने की दुकानें, मेडिकल स्टोर इत्यादि खुले रहेंगे. शादी विवाह के आयोजनों में 50 लोगों को जाने की छूट होगी लेकिन उसके लिए e-pass लेना जरूरी होगा.

अगले 6 दिनों तक लॉकडाउन के दौरान प्राइवेट ऑफिसों को work from home से काम चलाना होगा. वहीं सरकारी ऑफिसों में 50% अधिकारी ही आ सकेंगे.

मेट्रो और बस सेवाएं 50% यात्री क्षमता के साथ जारी रहेंगी एवं रेलवेय स्टेशन और एयरपोर्ट जाने वाले यात्री अपना टिकट दिखा कर जा सकते हैं. बैंक और ATM को भी खुला रखा जाएगा. वहीं धार्मिक स्थलों को भी बंद नहीं किया जा रहा है लेकिन श्रद्धालुओं के जाने पर पाबंदी रहेगी..

महामारी के दौर में भी कुछ ऐसी खबरें जो आपको सोचने पर मजबूर कर देंगी..

जहां एक और देश में सभी राज्य एक बार फिर से पाबंदियों को बढ़ाते जा रहे हैं वहीं चुनावी राज्यों में कोरोनावायरस को लेकर जागरूकता की कमी और लापरवाही का संगम देखने को मिल रहा है.

क्या पक्ष क्या विपक्ष सभी प्रचार अभियान में जुटे हैं कल जब अमित शाह से यह सवाल किया गया कि कोरोना महामारी के इस दौर में जब कुंभ जैसे मेले को स्थगित करने की बात कही जा रही हो और संत महात्मा भी इसके अनुसरण केलिए प्रतिबद्धता दिखा रहे हों तो वहीं चुनाव प्रचार में इतनी भीड़ जमा करना कहां तक तर्कसंगत है.

अमित शाह ने बड़ी ही साफगोई से जवाब दिया कि जहां कुंभ और चुनाव नहीं भी हो रहे हैं वहां भी तो मामले बढ़ रहे हैं और चुनावी राज्यों में चाहे वह बंगाल हो या तमिलनाडु अन्य राज्यों की तुलना में मामले बहुत कम हैं.

लेकिन अगर बारीकी से पड़ताल की जाए तो यह बात सामने आती है कि बंगाल में मामले कम आने के पीछे एक महत्वपूर्ण वजह है यहां जांच का कम होना. अगर जांच के ट्रेंड को देखें तो बंगाल में मार्च और शुरूआती अप्रैल के महीने में औसतन 20 -25 हजार के करीब ही जांच किए जा रहे थे और जैसे-जैसे testing की रफ्तार बढ़ती जा रही है वैसे-वैसे covid-19 के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं.

यहां तक कि अब बंगाल में मामले आठ हजार के करीब आ रहे हैं. इस प्रकार गृह मंत्री का यह कहना कि चुनाव से कोरोना का कोई लेना-देना नहीं है कहीं से भी तर्कसंगत नहीं मालूम पड़ता .अगर ऐसा है तो फिर किसी भी पाबंदी को लगाने का कोई अर्थ नहीं रह जाता.

वहीं महामारी के दौर में भी कुछ अस्पताल ,नर्सिंग होम अपनी मोटी कमाई को और बढ़ाने में लगे हुए हैं.

ताजा मामला झारखंड की राजधानी रांची का है जहां पर एक अस्पताल में एक मरीज का एक दिन का बिल लगभग एक लाख के आसपास का बनाया गया. जिसके बाद CM हेमंत सोरेन ने इस खबर को RETWEET करते हुए तुरंत कार्रवाई का आदेश दिया.

लॉक डाउन की घोषणा होते ही मयकदों पर भीड़ जमा होने लगी..
बशीर बद्र ने  शायद ठीक ही कहा है..

न तुम होश में हो न हम होश में हैं

चलो मय-कदे में वहीं बात होगी

इस भीड़ में एक महिला ने तो यहां तक कह दिया इंजेक्शन फायदा नहीं करेगा यह शराब फायदा करेगी. मुझ पर दवाइयों का असर नहीं पैग का असर होगा.

 

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