Chandrayaan-3 Launch Date: Chandrayaan-3 चांद पर जाने को तैयार नहीं दोहराई जाएंगी पिछली गलतियां जानिए क्या हुआ है बदलाव
Chandrayaan-3 Launch Date Final: के लॉन्च डेट को लेकर बड़ी खबर सामने आई है. इसरो के प्रमुख ने chandrayaan-3 की लॉन्चिंग से संबंधित सभी जानकारियों को प्रेस से साझा किया है. पहले जहां लॉन्चिंग को लेकर जो तिथि बतलाई जा रही थी वह तिथि 12 से 25 जुलाई के बीच की थी लेकिन अब इसरो प्रमुख ने इसको लेकर सारे भ्रम दूर कर दिए हैं.
ISRO प्रमुख S Somnath ने मीडिया को जानकारी दी है कि chandrayaan-3 की लॉन्चिंग जिसका कि भारत सहित विश्व को इंतजार है उसे जुलाई महीने के दूसरे सप्ताह यानी 12 से 19 जुलाई के बीच की जाएगी. इसरो प्रमुख ने यह भी बतलाया कि chandrayaan-3 Mission से संबंधित सारी तैयारियां पूरी कर ली गई है लेकिन की लॉन्चिंग की तिथि किस दिन होगी इसकी जानकारी आगे की परिस्थितियों को देखते हुए दिया जाएगा लेकिन यह तय है कि तिथि 12 से 19 जुलाई के बीच की ही होगी.
Chandrayaan-3 में पेलोड्स लगा दिए गए हैं. यहां यह बताना जरूरी है कि chandrayaan-3 को जब चंद्रमा पर लैंड कराया जाएगा तो लैंडिंग टेक्निक को बदल दिया गया है. मालूम हो कि पिछली बार लैंडिंग के दौरान ही दुर्घटना हुई थी और हमारा मिशन अधूरा रह गया था. इस बार चंद्रयान की लैंडिंग नए तरीके से कराई जाएगी.
Chandrayaan-3 मिशन में सिर्फ लैंडर और रोवर को भेजा जा रहा है क्योंकि chandrayaan-2 के साथ गया Orbiter पहले से वहां मौजूद है उसी से फिर से संपर्क साधा जाएगा. इस मिशन में इस बार जो प्रोग्रामिंग की गई है वह ऑटोमेटिक प्रोग्रामिंग है. जिसके लिए कई सेंसर लगाए गए हैं. यह सेंसर सुरक्षित लैंडिंग कराने में chandrayaan-3 को मदद करेंगे. सेंसर इस बात की जानकारी देते रहेंगे की लैंड करते समय गति कितनी होनी चाहिए साथ ही लैंडर किसी अवरोध से ना टकराए इसकी भी जानकारी रखेगा.
अब बात आती है कि जो सेंसर लगाए जा रहे हैं वह कब एक्टिव होंगे तो जो जानकारी अभी तक सामने आई है उसके अनुसार 7 किलोमीटर की दूरी रहते हुए लैंडिंग शुरू हो जाएगी और जब 2 किलोमीटर की दूरी बचेगी तो सारे सेंसर एक्टिव हो जाएंगे. वैज्ञानिकों का पूरा प्रयास रहेगा कि इस बार पिछली बार की तरह कोई गलती ना हो. पिछली बार chandrayaan-2 सतह पर पहुंचने के पहले ही अपनी दिशा भटक गया और तेजी से घूमते हुए चंद्रमा की सतह पर गिर गया. जिस कारण वैज्ञानिकों को काफी निराशा हाथ लगी थी.
लेकिन यह कहना कि चंद्रयान 2 मिशन पूरी तरह असफल रहा था तो यह गलत होगा. क्योंकि chandrayaan-2 मिशन के कारण ही chandrayaan-3 को पूरा करने में बहुत ही कम समय लग रहा है. साथ ही chandrayaan-3 Mission के तकनीकों को उन्नत बनाने में भी chandrayaan-2 मिशन की असफलता से प्रेरणा हासिल हुई है.