योगेंद्र यादव (Yogendra Yadav) संयुक्त किसान मोर्चा की मीटिंग और अन्य गतिविधियों में अब नहीं हो सकेंगे शामिल, किसान मोर्चा ने 1 महीने के लिए किया सस्पेंड, लखीमपुर खीरी(Lakhimpur kheri) हिंसा में मारे गए बीजेपी कार्यकर्ता के घर मिलने जाने को लेकर हुई है यह कार्रवाई

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योगेंद्र यादव(Yogendra Yadav) को लेकर  एक बड़ी खबर सामने आ रही है. उन्हें संयुक्त किसान मोर्चा ने 1 महीने के लिए सस्पेंड कर दिया है. अब वह 1 महीने तक किसान मोर्चा के किसी भी कार्यवाही में भाग नहीं ले पाएंगे. योगेंद्र यादव पर यह कार्यवाही लखीमपुर खीरी(Lakhimpur Kheri) हिंसा में मारे गए बीजेपी कार्यकर्ता के घर मिलने जाने को लेकर हुई है.

योगेंद्र यादव किसान आंदोलन के बड़े चेहरों में से एक हैं. वह एक राजनीतिक पार्टी भी चलाते हैं लेकिन फिर भी वह किसान आंदोलन में किसान मोर्चा के साथ नजर आते हैं. किसान मोर्चा की हर महत्वपूर्ण बैठक में उनकी उपस्थिति रहती है.

मालूम हो कि किसान मोर्चे ने यह संदेश पहले ही जारी कर दिया था कि किसी भी राजनीतिक पार्टी या किसी राजनीतिक व्यक्ति को किसान मोर्चा अपने मंच पर स्थान नहीं देगा.

योगेंद्र यादव किसान संगठनों की गतिविधियों में इस कारण शामिल हो पा रहे हैं क्योंकि वहां वह किसी राजनीतिक पार्टी के मुखिया के तौर पर शामिल नहीं होते हैं. योगेंद्र यादव किसान आंदोलन में एक सामाजिक कार्यकर्ता की हैसियत से शामिल हैं.

लेकिन अब एक महीने तक उन्हें किसान मोर्चा के किसी भी कार्यक्रम में शामिल होने से रोक दिया गया है. योगेंद्र यादव पर यह कार्यवाही इस कारण हुई है क्योंकि बीते दिनों वह लखीमपुर खीरी हिंसा में मारे गए बीजेपी कार्यकर्ता शुभम मिश्रा के परिवार से मिलने गए थे.

पढ़िए उस बयान को जिसे की योगेंद्र यादव ने शुभम मिश्रा के परिवार से मिलने के बाद दिया था जिसके कारण सारा विवाद पैदा हुआ. यह बयान नीचे दिया जा रहा है.

शुभम मिश्रा के परिवार से मिलने के बाद योगेंद्र यादव के उपरोक्त बयान के बाद किसान आंदोलन में शामिल किसान संगठनों के बीच योगेंद्र यादव को लेकर मतभेद सामने आने लगे थे.

किसान मोर्चे में शामिल किसान संगठनों की यह मांग थी कि योगेंद्र यादव ने जो शुभम मिश्रा के परिवार से मिलने के बाद मीडिया में जो बयान जारी किया है उस बयान पर माफी मांगे.

योगेंद्र यादव ने बयान पर माफी मांगने वाली बात से साफ इनकार कर दिया था. योगेंद्र यादव ने कहा था कि मैं इस बात के लिए किसान मोर्चा के सामने माफी मांग सकता हूं कि शुभम मिश्रा के परिवार से मिलने की सूचना मैंने किसान मोर्चे को नहीं दी.

योगेंद्र यादव ने शुभम मिश्रा के परिवार से मिलने के बाद कहा था कि जब मैं उनके परिवार से मिलने गया तो उन लोगों ने यह सवाल किया था कि आखिर मेरे बेटे का क्या दोष था. साथ ही योगेंद्र यादव ने क्रिया प्रतिक्रिया वाले बयान जो कि राकेश टिकैत के द्वारा दिया गया था उसकी भी चर्चा की थी.

गौरतलब है कि लखीमपुर खीरी हिंसा के बाद जब राकेश टिकैत से यह सवाल किया गया था कि वहां मौत सिर्फ किसानों की ही नहीं हुई है बल्कि वहां पर बीजेपी के भी कार्यकर्ता मारे गए.तब राकेश टिकैत ने कहा था कि क्रिया की प्रतिक्रिया तो होती ही है.

राकेश टिकैत के इस बयान के बाद उनकी काफी आलोचना हुई थी. किसान आंदोलन में शामिल अधिकांश किसान नेताओं ने भी राकेश टिकैत के इस बयान से पल्ला झाड़ लिया था.

मालूम हो कि लखीमपुर खीरी(Lakhimpur Kheri) में हिंसा के दौरान 4 किसानों की मौत हो गई थी साथ ही दो बीजेपी कार्यकर्ताओं और एक पत्रकार की भी मौत हुई थी.

लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में शामिल अन्य आरोपियों के साथ-साथ केंद्र में गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को भी मुख्य आरोपी बनाया गया है.

काफी हंगामे और विपक्ष के दबाव के बाद केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा को पुलिस ने गिरफ्तार किया था. अभी आशीष मिश्रा जेल में हैं.

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा पर यह आरोप है कि किसानों पर जब गाड़ी चढ़ाई गई तो वह भी इस घटना में शामिल थे.

पूरा विपक्ष और किसान मोर्चा इस बात पर अड़ा है कि केंद्र में गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के इस्तीफे के बिना लखीमपुर खीरी हिंसा की जांच सही तरीके से नहीं हो सकती है.

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विपक्ष और किसान मोर्चा की यह मांग है कि सबसे पहले अजय मिश्रा को उनके पद से हटाया जाना चाहिए. किसान संगठनों का कहना है कि निष्पक्ष जांच के लिए मंत्री का इस्तीफा अनिवार्य है.

मंत्री के इस्तीफे को लेकर अभी तक सरकार या फिर बीजेपी की तरफ से कोई भी प्रतिक्रिया नहीं आई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी लखीमपुर खीरी हिंसा को लेकर अभी तक कोई बयान नहीं दिया है. जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस हिंसा के बाद से ही लगातार यूपी के दौरे पर हैं.

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