Whatsapp के DOUBLE STANDARD पर IT मिनिस्ट्री सख्त़ कहा कारोबार करना है तो सरकार के आदेश को मानना होगा SOCIAL MEDIA GUIDELINE का करना होगा पालन

FACEBOOK WHATSAPP ON NEW SOCIAL MEDIA GUIDELINE
,
Share

NEW SOCIAL MEDIA RULE पर कौन सही IT मंत्रालय या Whatsapp

SOCIAL MEDIA के लिए बनाए गए नए IT RULE पर Whatsapp और IT मिनिस्ट्री के बीच विवाद गहराता जा रहा है.

व्हाट्सएप का कहना है हम सरकार को मैसेज के सोर्स के बारे में नहीं बता सकते. इससे ग्राहकों के निजता का अधिकार प्रभावित होगा.

वहीं सरकार का कहना है व्हाट्सएप जो बातें सरकार के लिए कह रहा है वह खुद इन मापदंडों का उल्लंघन कर लोगों की निजता के अधिकार से खिलवाड़ कर रहा है.

सरकार का यह कहना उचित भी है क्योंकि व्हाट्सएप अब फेसबुक के स्वामित्व में है और व्हाट्सएप अपने यूजर के डाटा को फेसबुक के साथ साझा करना चाहता है.

इस बात को लेकर काफी विवाद भी हुआ था. लोगों ने व्हाट्सएप बैन करने के हैशटैग के साथ सोशल मीडिया पर विरोध प्रदर्शन भी किया था.

भले ही फेसबुक के पास व्हाट्सएप का स्वामित्व हो लेकिन उसे थर्ड पार्टी ही कहा जाएगा.

वैसे इस जगह आईटी मिनिस्ट्री का तर्क मजबूत प्रतीत होता है. IT मिनिस्ट्री का कहना है हम सभी मैसेजेस की जानकारी नहीं चाहते बल्कि कुछ खास मैसेजेस जिसमें कि किसी प्रकार की अनहोनी की संभावना हो या आशंका हो सिर्फ उसकी जानकारी चाहते हैं.

आईटी मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद ने कहा है जो भी मामले देश की अखंडता और संप्रभुता से संबंधित होंगे उनको लेकर कोई समझौता नहीं किया जा सकता. और अगर उन मामलों पर जानकारी मांगी जाएगी तो कंपनियों के लिए यह बाध्यकारी होगा.

निजता के मसले पर आईटी मिनिस्ट्री ने एक नोट जारी कर सफाई दी है

आईटी मंत्रालय का कहना है देश की अखंडता और संप्रभुता सबसे ऊपर है और इनसे जुड़े मसलों पर सोशल मीडिया कंपनी को मैसेज के ऑरिजिन को बताना ही होगा.

इसके लिए आईटी मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद ने आईटी रूल की धारा 4(2) का जिक्र किया है. साथ ही उन्होंने कहा मैसेज से जुड़ी जानकारी एक विशेष परिस्थिति में ही मांगी जाएगी. ऐसा तभी किया जाएगा जब जांच कार्य में अन्य सभी दूसरे उपाय नाकाम साबित हुए हों.

जिस निजता के अधिकार पर बहस छिड़ी हुई है क्या वह संवैधानिक अधिकार है


निजता के अधिकार को लेकर काफी चर्चाएं हुई थी की निजता के अधिकार को कैसे सुरक्षित रखा जाए. साथ ही क्या निजता का अधिकार संवैधानिक अधिकार है.

इस पर सुप्रीम कोर्ट के नौ जजों का फैसला बहुत ही महत्वपूर्ण है. वर्ष 2017 में सुप्रीम कोर्ट के नौ जजों की खंडपीठ ने निजता के अधिकार को संवैधानिक अधिकार करार दिया था.

लेकिन निजता के अधिकार को लेकर अभी भी बहुत ज्यादा स्पष्टता नहीं है खासकर डिजिटल प्लेटफॉर्म पर.


व्हाट्सएप और आईटी मिनिस्ट्री के बीच विवाद पर क्या कहना है एक्सपर्ट्स का

निजता के अधिकार पर व्हाट्सएप और आईटी मिनिस्ट्री के बीच खींचतान जारी है. जब इस मामले में हमने आईटी मिनिस्ट्री के कुछ पूर्व अधिकारियों और सुप्रीम कोर्ट के वकीलों से बात की तो उनका कहना है जिस नए आईटी रूल के खिलाफ व्हाट्सएप हाईकोर्ट गया है हो सकता है उसमें कुछ खामियां हो और इसके गुण दोष पर चर्चा होनी चाहिए.

लेकिन व्हाट्सएप एवं अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए ऐसे आईटी रूल की जरूरत बहुत पहले से थी. वकीलों का कहना है कभी भी किसी प्रकार के विवाद की स्थिति में यह कंपनियां मनमाना बर्ताव कर रही है क्योंकि भारत में ग्राहकों के डाटा को लेकर कोई डाटा प्रोटक्शन रुल नहीं है.

जो नए आईटी रुल बनाए गए हैं वह भी ग्राहकों के हितों से ज्यादा सरकार के हितों का पोषण करती है. लेकिन साथ ही वकीलों ने यह बात भी बताई कि सोशल मीडिया कंपनियों के साथ एक समस्या तो है. जब भी किसी मसले पर विवाद की स्थिति होती है और इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के कार्यालयों से संपर्क किया जाता है तो उनके एमडी का कहना होता है कि हम किसी प्रकार की सहायता करने में सक्षम नहीं हैं क्योंकि हमारी जिम्मेदारी मार्केटिंग की है.

इसलिए नोडल ऑफिसर एंव complain ऑफिसर की नियुक्ति एक प्रकार से जरूरी है. लेकिन एक बात यहां बताना जरूरी है कि व्हाट्सएप नोडल ऑफिसर और complain ऑफिसर को लेकर हाईकोर्ट नहीं गया है. वह गया है तो निजता के अधिकार को लेकर.


न्यू आईटी रूल को लागू करने के लिए कंपनियों को चाहिए और समय सरकार कह रही है पर्याप्त समय दिया गया

मालूम हो कि सोशल मीडिया को रेगुलेट करने के लिए बनाई गई नई गाइडलाइन को 26 मई से लागू कर दिया गया है.

सरकार का कहना है इस गाइडलाइन को तैयार करने में हड़बड़ी नहीं की गई है. बल्कि इसके लिए पर्याप्त समय लिया गया.

सरकार का कहना है इस नई गाइडलाइन पर 2018 से ही काम चल रहा था. और 3 वर्षों के व्यापक विचार विमर्श के बाद इसे लागू किया गया है.

इस कारण किसी का यह कहना कि सोशल मीडिया के लिए बनाया गया कानून जल्दबाजी में लाया गया है, यह सरासर गलत है.

उल्लेखनीय है कि इस नई गाइडलाइन को 25 फरवरी 2021 को नोटिफाई किया गया था और इसे लागू करने के लिए 3 महीने का समय भी दिया गया था.

नई गाइडलाइन में मैसेज सोर्स की जानकारी के अलावा सोशल मीडिया कंपनियों को भारत में नोडल ऑफिसर और कंप्लायंस ऑफीसर की नियुक्ति करने को कहा गया था. जिससे कि इन की जवाबदेही तय हो सके.

लेकिन खबर लिखे जाने तक सिर्फ को कू ने इनकी नियुक्ति की है. मालूम हो कि कू भारत का एकमात्र अपना सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है जिसे ट्विटर का देसी वर्जन भी कहा जाता है.

क्या आपने ये खबर पढी है

ICMR की मंजूरी नहीं लेकिन सरकारी खर्चे पर हरियाणा में BABA RAMDEV की CORONA की दवा कोरोनिल बांटने की तैयारी वहीं महाराष्ट्र में COVID मरीजों को जाना पड़ेगा कोविड सेंटर HOME ISOLATION की सुविधा हुई समाप्त

Recent Post

Youtuber Abdullah Pathan Case: इस तरह बनाते हैं वीडियो तो सावधान National Film Awards 2023 आलिया भट्ट और अल्लू अर्जुन का दबदबा Rocky aur Rani ki prem kahani Teaser Release Alia Bhatt का धमाल Alia Bhatt in Ramayan: आलिया भट्ट सीता की भूमिका में आएंगी नज़र IIFA 2023 Salman Khan सहित बॉलीवुड के सितारों का लगा जमावड़ा