World Inequality Reports: विश्व असमानता रिपोर्ट 2022 के अनुसार देश की राष्ट्रीय आय का 57% हिस्सा मात्र 10% अमीर लोगों के पास है और 50% गरीबों के हिस्से मात्र 13%. अगर और गहराई से इस रिपोर्ट को देखें तो 1% अमीरों के पास राष्ट्रीय आय का 22% से भी अधिक हिस्सा है.
विश्व असमानता रिपोर्ट(World Inequality Reports) के अनुसार भारत में अमीर और अमीर हुए हैं और गरीब और गरीब. भारत गरीब और अत्याधिक असमानता वाले देशों की लिस्ट में अब शामिल हो गया है.
विश्व असमानता रिपोर्ट(World Inequality Reports) के अनुसार भारत में जहां अमीरों की संपत्ति में बेहिसाब वृद्धि हुई है वहीं गरीब और गरीब हो गए हैं.
इस रिपोर्ट से यह साफ हो गया है कि कोविड-19 महामारी के कारण भारत में अमीरी और गरीबी के बीच की खाई और चौड़ी हो गई है.
छोटे दुकानदार और कारोबारियों के कारोबार corona महामारी और लॉक डाउन के कारण बुरी तरह प्रभावित हुए. जिस कारण से उन कारोबारियों से जुड़े हुए कारोबारियों मजदूरों को काफी नुकसान झेलना पड़ा.
वहीं दूसरी तरफ बड़े अमीर घराने जिन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान भी अपनी कमाई में लगातार वृद्धि की और कुछ तो ऐसे रहे जो वैश्विक अमीरी के सूचकांक में बहुत ही आगे निकल गए.
भारत के प्रमुख औद्योगिक घराने अंबानी(Ambani) और अडानी(Adani) की संपत्तियों में भी भारी वृद्धि देखी गई. जहां अडानी ने अंबानी को पीछे छोड़ दिया वहीं देश की गरीब जनता गरीबी से भुखमरी की कगार पर आ गई है.
गरीबी का आलम यह है कि बड़े राज्य उत्तर प्रदेश((UP) में मुफ्त अनाज देने के के लिए एक बड़ी आबादी को चिन्हित किया गया है. सरकारी विज्ञापनों में भी यह साफ नजर आता है कि देश में गरीबी अपने चरम स्तर पर है.
ऐसा इसलिए क्योंकि सरकारी विज्ञापनों में करोड़ों-करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज देने की बात कही जा रही है. जिससे यह साफ जाहिर है कि भारत की बहुत बड़ी आबादी गरीबी नहीं बल्कि भुखमरी की कगार पर है.
महंगाई का आलम यह है कि खाद्य पदार्थ और खाद्य तेलों की कीमतें आसमान छू रही हैंं. रसोई गैस(LPG) पेट्रोल(Petrol) डीजल की कीमतों से भी आम आदमी त्रस्त है. वैसे तो केंद्रीय सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी(Excise duty) को कम कर दिया है. जिससे लोगों को बहुत बड़ी तो नहीं लेकिन थोड़ी राहत जरुर मिली है.