UNSC में Afganistan पर इंडिया द्वारा लाया गया प्रस्ताव हुआ मंजूर, चाइना और रसिया रहे अनुपस्थित

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यूनाइटेड नेशन सिक्योरिटी काउंसिल(UNSC) में भारत द्वारा अफगानिस्तान(Afghanistan) पर लाया गया प्रस्ताव मंजूर हो गया है..

यूनाइटेड नेशन सिक्योरिटी काउंसिल में भारत ने अफगानिस्तान को लेकर एक प्रस्ताव लाया था जिस प्रस्ताव को सिक्योरिटी काउंसिल ने बहुमत से मंजूर कर लिया है. इस प्रस्ताव के पक्ष में 13 मत पड़े जबकि विपक्ष में एक भी मत नहीं पड़ा.

इसकी जानकारी न्यूज़ एजेंसी ANI ने ट्विटर के माध्यम से दी है. रसिया और चाइना जोकि यूनाइटेड नेशन सिक्योरिटी काउंसिल के स्थाई सदस्य हैं वे इस प्रस्ताव के दौरान अनुपस्थित रहे.

यूनाइटेड नेशन सिक्योरिटी काउंसिल के स्थाई सदस्यों की संख्या 5 है जिसमें अमेरिका रसिया ब्रिटेन फ्रांस और चाइना शामिल हैं.

मालूम हो कि अगस्त महीने के लिए यूएनएससी की अध्यक्षता भारत के पास है. भारत ने अफगानिस्तान को लेकर जो प्रस्ताव यूएनएससी के सामने रखा था, उस प्रस्ताव में अफगानिस्तान को लेकर जो बातें कही गई उनमें प्रमुख बातें थी, अफगानिस्तान अपनी जमीन को किसी भी सूरत में किसी भी देश में आतंकवादी गतिविधि को अंजाम देने के लिए इस्तेमाल नहीं होने देगा और ना ही किसी आतंकवादी या किसी आतंकवादी संगठन को अपनी धरती पर पनाह देगा.

इस प्रस्ताव के पारित होने के बाद अब ऐसा लगने लगा है कि कहीं न कहीं तालिबान में सत्ता परिवर्तन को मंजूरी देने के लिए अब धीरे-धीरे ही सही विश्व बिरादरी के कदम बढ़ने लगे हैं.

वैसे भी चाइना ने और पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता को खुलकर समर्थन पहले ही दे दिया है और रूस ने भी तालिबानी सत्ता के लिए कोई जोरदार विरोध दर्ज नहीं कराया है.

अगर बात ब्रिटेन की करें तो वहां के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने तो यहां तक कहा था कि अगर अफगानिस्तान से लोगों को सुरक्षित निकलने में तालिबान मदद करता है तो उस पर लगाए गए प्रतिबंधों में ढील देने के बारे में विचार किया जा सकता है.

लेकिन भारत द्वारा प्रस्ताव का लाया जाना एक ढंग से वैश्विक शांति के लिए आवश्यक भी था.

क्योंकि जिस प्रकार से तालिबान को लेकर चाइना और पाकिस्तान के बयान आ रहे हैं उससे भारत की चिंता जायज है.

वहीं अफगानिस्तान में तालिबान के लड़ाकों और पंजशीर में तालिबान विरोधी अफगान सैनिकों के बीच मुकाबला जारी है.

अफगानिस्तान में अब यही एकमात्र इलाका ऐसा रह गया है जहां पर कि तालिबान अभी तक कब्जा नहीं कर पाया है.

वहीं अफगानिस्तान में अल्पसंख्यक हाजरा समुदाय के लोगों पर तालिबानियों का कहर जारी है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो आज भी कम से कम एक दर्ज़न हाजरा समुदाय के लोग तालिबानियों के हाथों मारे गए हैं.

 

 

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