फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ ने लिखा है:-
बोल कि लब आजाद हैं तेरे
बोल जबां अब तक तेरी है।
लेकिन बोलने की ये आज़ादी कभी-कभी लोगों को विवादों में भी घसीट लाती है। बांग्लादेश की चर्चित और निर्वासित लेखिका तस्लीम नसरीन हमेशा से अपनी लेखनी और बयानों से सुर्खियों में रहती हैं। ताजा घटना क्रम उनके एक tweet से संबंधित है। तस्लीमा नसरीन ने भारत के मशहूर और हर बात को बेबाक अंदाज में कहने वाले शायर मुनव्वर राणा के संबंध में एक ट्वीट किया। जिसमें वो लिखती हैं मैं मुनव्वर राणा को प्रगतिवादी लेखक नहीं मानती। जो लेखक हत्यारों का समर्थन करता हो वह प्रगतिवादी लेखक नहीं हो सकता है। उसे एक आतंकवादी ही कहा जाना चाहिए। ज्ञात हो कि हाल में फ्रांस में हुई हिंसा का मुनव्वर राणा ने समर्थन किया था। जिसके कारण उन पर FIR भी दर्ज हुई है। मुनव्वर राणा ने एक TV इंटरव्यू के दौरान कहा था “अगर वह फ्रांस के राष्ट्रपति होते तो उस कार्टूनिस्ट को फांसी की सजा दे देते जिसने पैगंबर मोहम्मद का कार्टून बनाया था” मुनव्वर राणा के इसी बयान के बाद तस्लीमा नसरीन की यह प्रतिक्रिया आई है। तस्लीमा नसरीन यहीं नहीं रुकी बल्कि उन्होंने मुनव्वर राणा को अपने ऊपर कथित रूप से आपत्तिजनक टिप्पणी करने के कारण झूठा और मूर्ख भी कहा। तस्लीमा नसरीन के अनुसार मुनव्वर राणा ने उनका दुष्प्रचार किया और उनके संघर्ष को गलत नजरिए से देखा। तस्लीमा नसरीन बेहद ही खुले विचारों वाली लेखिका के रूप में जानी जाती हैं। ये महिलाओं की स्वतंत्रता से संबंधित बातों पर और इस्लाम पर हमेशा अपने खुले विचार रखती हैंं। बांग्लादेश में रहते हुए भी इन्होंने हमेशा महिला स्वतंत्रता के पक्ष में तथा इस्लामिक कट्टरपंथ के खिलाफ आवाज बुलंद की थी। 1994 में इनकी लिखी किताब “लज्जा(Lajja)” जिसके कारण ये काफी चर्चा में रही और विवादों में भी घिरी थी!! मुखर विचार, इस्लामिक कट्टरता के खिलाफ लिखने और पुरुषवादी मानसिकता को आईना दिखाने के कारण ही तस्लीमा नसरीन आज भी निर्वासितों की जिंदगी बसर कर रही हैंं। फिलहाल तस्लीमा नसरीन 2004 से भारत में रह रही हैं।