राजद्रोह (Sedition charges) मामले को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट(SC) में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है.
यह टिप्पणी जहां आम जनों के लिए बेहद ही राहत देने वाली है वहीं उन सरकारों के लिए एक सख्त संदेश है जो कि देशद्रोह और राजद्रोह जैसे कानूनों का बेजा इस्तेमाल करते हैं.
आजकल यह बड़ा ही आम चलन हो गया है कि अगर किसी भी व्यक्ति के विचार या व्यवहार सरकार को संतुष्ट ना कर पा रहे हों तो उस व्यक्ति पर राजद्रोह जैसे कड़े कानून के तहत मुकदमा दर्ज कर दिया जाता है.
आंकड़ों पर गौर करें तो इसमें अधिकतर मुकदमे या तो दुर्भावना से प्रेरित होते हैं या फिर जल्दी बाजी में उठाया गया कदम. कई मामलों में हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणियां की हैं लेकिन फिर भी इन मामलों में दिन-ब-दिन बढ़ोतरी होती जा रही है.
क्या है ताजा मामला
आज सुप्रीम कोर्ट में छत्तीसगढ़ के रिटायर्ड IPS ऑफिसर G P SINGH को लेकर सुनवाई चल रही थी. जीपी सिंह पर राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने जीपी सिंह को बड़ी राहत दी है सुप्रीम कोर्ट ने जी पी सिंह की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है.
उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम टिप्पणी की है सुप्रीम कोर्ट ने कहा सरकार बदलने पर राजद्रोह जैसे मामले दायर करना एक परेशान करने वाली प्रवृत्ति है.
अदालत की यह टिप्पणी उन पुलिस अधिकारियों से संबंधित थी जो सत्ता परिवर्तन के बाद नई सरकार के कोप भाजन बनते हैं
मामले की सुनवाई CJI एनवी रमन्ना और न्यायमूर्ति सूर्यकांत कर रहे थे. पीठ ने गुरजेंदर पाल को गिरफ्तार नहीं करने का आदेश दिया है.साथ ही आरोपी वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी को जांच एजेंसियों के साथ सहयोगात्मक रवैया अपनाने को कहा है.
मालूम हो कि छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी जी पी सिंह अभी निलंबित चल रहे हैं. आईपीएस अधिकारी पर राजद्रोह समेत आय से अधिक संपत्ति के मामले दर्ज हैं.
क्या कहता है राजद्रोह का कानून
अगर कोई व्यक्ति चुनी हुई सरकार के प्रति अवमानना घृणा विद्रोह वैमनस्य शत्रुता को बढ़ाने वाला आचरण करता है तो इसे भारतीय दंड संहिता की धारा 124A के अंतर्गत राजद्रोह माना जाता है.
यह कानून अंग्रेजों के जमाने से चला आ रहा है कई बार इसे हटाने की मांग की गई. इसे हटाने के लिए जो तर्क दिए गए उसमें सबसे ज्यादा इस बात पर बल दिया गया कि सरकार का विरोध या सरकार के विचारों से असहमति रखना देश के प्रति गद्दारी नहीं है.
इस कानून को लेकर सबसे बड़ी चिंता यह है कि सरकार अक्सर इसका इस्तेमाल लोकतांत्रिक ढंग से विरोध कर रहे लोगों के विरोध को दबाने के लिए करती है.
अगर 124A के तहत अपराध साबित हो जाए तो कितनी हो सकती है सजा
राजद्रोह के अंतर्गत अपराध साबित हो जाने पर आरोपी व्यक्ति को न्यूनतम 3 वर्ष और अधिकतम उम्र कैद की सजा हो सकती है. साथ ही आरोपी व्यक्ति पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है. यहां यह बताना जरूरी है कि राजद्रोह गैर जमानती अपराध की श्रेणी के अंतर्गत आता है.
अगर राजद्रोह के कानून को देखें तो इससे अभिव्यक्ति की आजादी जो कि एक मौलिक अधिकार है बाधित होती है. लेकिन विधि द्वारा स्थापित सरकार अपना काम सही तरीके से करती रहे इसके लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर युक्तिसंगत प्रतिबंध को आरोपित करना भी जरूरी है.
इस कारण अनुच्छेद 19(2) को दोबारा से संशोधित किया गया था और कहा गया अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की भी सीमाएं हैं.
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