Navjot Singh Sidhu ने पंजाब Congress अध्यक्ष पद से दिया इस्तीफा मंत्रिमंडल में शामिल कुछ चेहरों पर थी आपत्ति वहीं कैप्टन अमरिंदर सिंह के BJP में शामिल होने की अटकलें

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Navjot Singh Sidhu ने आज कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है. सूत्रों के हवाले से यह खबर सामने आ रही है कि नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब मंत्रिमंडल में शामिल कुछ चेहरों को लेकर नाराज़ चल रहे थे.

जिन लोगों से नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) नाराज चल रहे थे, वे पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) के नजदीकी बताए जा रहे हैं.

वहीं कांग्रेस नेताओं का कहना है कि नवजोत सिंह सिद्धू का ऐसा करना ठीक नहीं है क्योंकि नवजोत सिंह सिद्धू की बात को मान कर ही चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब का मुख्यमंत्री बनाया गया.

अगर बात पंजाब मंत्रिमंडल विस्तार की करें तो मंत्रिमंडल विस्तार  में  भी उपमुख्यमंत्री से लेकर अन्य मंत्रियों के चयन में नवजोत सिंह सिद्धू का ख्याल रखा गया. लेकिन ऐसे में अचानक सिद्धू का इस्तीफा देना सियासी गलियारों में चर्चा का विषय है. वैसे नवजोत सिंह सिद्धू हमेशा से अप्रत्याशित घटनाक्रम को अंजाम देने के लिए जाने जाते हैं.

नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे से पंजाब में कहीं न कहीं कांग्रेस पार्टी बैकफुट पर आती दिख रही है. क्योंकि इधर नवजोत सिंह सिद्धू ने इस्तीफा दिया है और उधर कैप्टन अमरिंदर सिंह दिल्ली के लिए रवाना हो रहे हैं और ऐसी खबर है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मुलाकात कर सकते हैं.

पंजाब को लेकर अभी पूरी तरह से स्थिति साफ़ नहीं है कि सिद्धू ने आखिर इस्तीफा क्यों दिया और कैप्टन अमरिंदर सिंह जोकि वर्षों से कांग्रेस से जुड़े रहे वो बीजेपी(BJP) में शामिल होंगे या नहीं.

वहीं पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा है कि मैं कांग्रेस से जुड़ा रहूंगा और कांग्रेस के लिए काम करता रहूंगा.

अगर पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल होते हैं तो इससे बीजेपी को बहुत बड़ा फायदा हो सकता है. क्योंकि अभी वर्तमान में किसान आंदोलन (Kisan Andolan) को लेकर बीजेपी पंजाब और हरियाणा में किसानों के निशाने पर है.

वहीं पंजाब में मुख्यमंत्री सहित मंत्रिमंडल को बदलने के बाद राजस्थान में भी ऐसे बदलाव के संकेत मिल रहे हैं, लेकिन अभी कुछ भी स्पष्ट नहीं है.

मालूम हो कि कैप्टन अमरेंद्र सिंह( Captain Amarinder Singh) के इस्तीफे के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को लेकर एक टिप्पणी की थी. उस टिप्पणी पर खासा बवाल मचा था.

अशोक गहलोत ने कहा था कि जब शीर्ष नेतृत्व किसी को पद छोड़ने के लिए कहे तो उसे सहजता से उस पद को छोड़ देना चाहिए. क्योंकि जब शीर्ष नेतृत्व किसी को पद देता है तो उसके लिए भी कई लोगों की नाराजगी को झेलना पड़ता है.

अब देखना यह है कि अगर कोई ऐसी बात राजस्थान में भी होती है तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की इस पर क्या प्रतिक्रिया होती है.

नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे पर कैप्टन अमरिंदर सिंह ने क्या कहा

नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे पर पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का बयान आ गया है. कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने अंदाज में कहा कि मैंने यह पहले ही कहा था कि नवजोत सिंह सिद्धू कहीं भी स्टेबल नहीं रह सकते. उनके इस बयान पर अभी तक नवजोत सिंह सिद्धू ने कोई भी टिप्पणी नहीं की है.

वहीं इस्तीफे के बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा है कि वह हमेशा कांग्रेस के साथ हैं और कांग्रेस के साथ ही काम करते रहेंगे. नवजोत सिंह सिद्धू को लेकर अभी तक कॉन्ग्रेस शीर्ष नेतृत्व से किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं आई है.

सीपीआई को छोड़, कन्हैया थामेंगे कांग्रेस का हाथ

JNU के पूर्व छात्र अध्यक्ष और बेगूसराय से लोकसभा चुनाव लड़ने वाले कन्हैया कुमार (Kanahiya Kumar) आज कांग्रेस पार्टी ज्वाइन करने वाले हैं. उनके साथ गुजरात से निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी(Jignesh Mewani) भी कांग्रेस में शामिल होंगे.

मालूम हो कि वामपंथी पार्टी को छोड़ने के पीछे कन्हैया कुमार का उस पार्टी में तवज्जो का ना मिलना एक प्रमुख कारण है.

बेगूसराय लोकसभा सीट से चुनाव हारने के बाद कन्हैया कुमार को पार्टी में किनारे कर दिया गया था. यहां तक कि एक पार्टी कार्यकर्ता से मारपीट के मामले में कन्हैया कुमार के खिलाफ निंदा प्रस्ताव को भी पारित किया गया था.

कन्हैया कुमार के कांग्रेस में शामिल होने से जहां कांग्रेसी नेता इसे बिहार में कांग्रेस की बड़ी जीत बता रहे हैं. वहीं कुछ लोगों का कहना है कि कन्हैया कुमार के कांग्रेस में जाने से अन्य दलों को क्या नुकसान होगा यह तो नहीं पता लेकिन कांग्रेस को खासा नुकसान हो सकता है.

क्योंकि  लालू प्रसाद यादव के छोटे बेटे एंव बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और कन्हैया कुमार के बीच के रिश्ते कभी भी ज्यादा सामान्य नहीं रहे.

कन्हैया कुमार और तेजस्वी के बीच के रिश्ते को इससे भी समझा जा सकता है कि लोकसभा चुनाव के दौरान कन्हैया कुमार के खिलाफ आरजेडी(RJD) ने अपना प्रत्याशी उतारा था.

आरजेडी के प्रत्याशी के कारण कन्हैया कुमार को भारी मतों से हार का सामना करना पड़ा था. कन्हैया कुमार को बीजेपी के उम्मीदवार गिरिराज सिंह ने भारी मतों से हराया था.

बेगूसराय से आरजेडी प्रत्याशी के रूप में तनवीर हसन को उतारा गया था. यह बेहद ही चौंकाने वाला मामला था कि तनवीर हसन दूसरे नंबर पर आए थे जबकि कन्हैया तीसरे नंबर पर.

बेगूसराय भूमिहार बहुल इलाका है और वहां मुस्लिमों और यादवों की संख्या भी अच्छी खासी है. इसको देखते हुए कांग्रेस ने कन्हैया कुमार को अपने दल में शामिल किया है. लेकिन कांग्रेस  का यह समीकरण तभी सीधा पड़ सकता है जब उसे आरजेडी का साथ मिले.

यह मुमकिन है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस आरजेडी में गठबंधन हो और सीटों के बंटवारे में बेगूसराय कांग्रेस के खाते में आ जाए. अगर ऐसा होता है तो कन्हैया कुमार के जीतने की संभावना हो सकती है.

लेकिन यह सभी अटकलें कितनी सही होती हैं यह तो आने वाला भविष्य ही बताएगा. वैसे भीतर खाने यह भी खबर है कि नीतीश कुमार और बीजेपी के बीच सब कुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है.खासकर जातिगत जनगणना (Cast Census) को लेकर नीतीश कुमार के विचार बीजेपी से ठीक विपरीत हैं.

बीजेपी ने सुप्रीम कोर्ट में जाति आधारित जनगणना को एक जटिल प्रक्रिया बताकर खारिज कर दिया है. वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जातिगत जनगणना के पक्ष में मुखर हैं.

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