Kisan Andolan updates:-राकेश टिकैत ने भावुक होते हुए मीडिया के सामने कहा :- नहीं करूंगा पुलिस के सामने आत्मसमर्पण, लगा UAPA

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Kisan Andolan updates: 26 जनवरी की घटना को लेकर पुलिस तेजी से कार्यवाही करती दिख रही है इसी क्रम में किसान नेता राकेश टिकैत पर UAPA की धारा लगा दी गई है .

आज गाजीपुर बॉर्डर पर मीडिया के सामने राकेश टिकैत ने रोते हुए कहा मैं पुलिस के आगे आत्मसमर्पण नहीं करूंगा, मेरे खिलाफ साजिश रची जा रही है मैं आत्महत्या कर लूंगा.

राकेश टिकैत इस पूरे मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट से कराने की मांग कर रहे हैं वहीं यूपी पुलिस ने गाजीपुर बॉर्डर को खाली करने का निर्देश जारी कर दिया है.

गाजीपुर बॉर्डर पर अधिक से अधिक पुलिस बल की तैनाती की जा रही है यहां धारा 144 लगा दी गई है वहीं राकेश टिकैत अनशन पर बैठ गए हैं।

जिस सख्त कानून UAPA के तहत राकेश टिकैत पर कार्यवाही की जा रही है आइए जानते हैं यह कानून क्या है और इस कानून पर हमेशा क्यों विवाद उठता है:-

UAPA यानी Unlawful Activities(Prevention) Act 1967,

इस कानून को संसद द्वारा 1967 में बनाया गया था.ये कानून उन सभी गतिविधियों पर प्रभावी होगा जो भारत की अखंडता और संप्रभुता को प्रभावित करती हो या इसे खतरे में डालने की कोशिश करती हो.

यह कानून संविधान द्वारा प्रदत्त अनुच्छेद 19 के अंतर्गत दिए गए अधिकारों जैसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शस्त्रों के बिना एकत्र होने का अधिकार और संघ बनाने के अधिकार पर भी तर्कसंगत प्रतिबंध आरोपित कर सकता है.

इस कानून को 2004, 2008, 2012 तथा 2019 में संशोधित किया गया है.

इन संशोधनों में 2019 में किया गया संशोधन ज्यादा चर्चित और विवादित भी रहा, क्योंकि यह संशोधन किसी भी व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने की शक्ति देता है.

इससे पहले किसी भी कानून में किसी व्यक्ति को आतंकवादी कहने का प्रावधान नहीं था, इसलिए जब किसी आतंकवादी संगठन पर प्रतिबंध लगाया जाता था तो उनके सदस्य नया संगठन बना लेते थे.

ऐसा इसलिए क्योंकि व्यक्तिगत तौर पर किसी को आतंकवादी घोषित करने का प्रावधान किसी कानून में नहीं था लेकिन इस संशोधन के बाद अब ऐसा किया जा सकता है.

इस संशोधन में आतंकवाद की कोई निश्चित परिभाषा नहीं है इस कारण सरकार या इस संबंधित एजेंसी आतंकवाद की मनमानी व्याख्या द्वारा किसी को प्रताड़ित कर सकते हैं ऐसा संदेह हमेशा जताया जाता है.

UAPA का कानून NIA को संपत्ति जप्त करने का अधिकार देता है जो कि राज्य पुलिस के अधिकार क्षेत्र में कमी करता है क्योंकि पुलिस राज्य का विषय है इससे राज्य और केंद्र सरकार के बीच टकराव की स्थिति उत्पन्न होने की संभावना बनी रहती है.

इस कानून के अंतर्गत आतंकवादी घोषित होने के बाद आरोपों से बरी होने के लिए  सबसे पहले कोर्ट के बजाय सरकार द्वारा बनाई गई रिव्यू कमेटी के पास जाना होता है बाद में कोर्ट में अपील की जा सकती है.

UAPA कानून का सेक्शन 45 D (2) किसी व्यक्ति की पुलिस हिरासत की सीमा को दुगना कर देने का प्रावधान करता है.

इस कानून के अंतर्गत 30 दिन की पुलिस कस्टडी मिल सकती है न्यायिक हिरासत की सीमा 90 दिन की हो सकती है.

2019 में किए गए संशोधन में परमाणु आतंकवाद के कृत्यों के दमन हेतु अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन 2005 को सेकंड शेड्यूल में शामिल किया गया.

जिस व्यक्ति पर यूएपीए के तहत मुकदमा दर्ज हो जाता है उसे अग्रिम जमानत यानी एंटीसिपेटरी बेल नहीं मिल सकती.

इस कानून के 43D(5) के अनुसार कोर्ट  जमानत नहीं दे सकता.

इन सभी प्रावधानों के कारण अनेकों बार इस कानून के तहत की गई कार्यवाही संदेह के घेरे में आ जाती है.

लेकिन आतंकवाद जैसे कुकृत्य पर रोक लगाने के लिए और देश की सुरक्षा के लिए ऐसे कठोर कानून की जरूरत है.

इसके लिए यह जरूरी है कि कानून का संपादन बहुत ही सचेत और भेदभाव से परे होकर किया जाए……

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