Kashi Vishwanath Corridor: काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन कल PM Modi के हाथों होगा संपन्न. इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बनेंगे 12 ज्योतिर्लिंगों और 51 सिद्ध पीठों के पुजारी.
कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काशी विश्वनाथ कॉरिडोर(Kashi Vishwanath Corridor) का उद्घाटन करेंगे. काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन पीएम मोदी रेवती नक्षत्र में करेंगे.
कल काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दोपहर में किया जाएगा 54000 वर्ग मीटर में फैला यह कॉरिडोर पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है.
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर(Kashi Vishwanath Corridor) पीएम मोदी के लिए बेहद खास,शुभ मुहूर्त का भी विशेष ख्याल
पीएम मोदी के लिए इसका महत्व इसी से समझा जा सकता है कि इसका निर्माण कार्य साल 2019 में शुरू हुआ था और मात्र 33 महीने में इसे पूरा कर लिया गया. जबकि इसी बीच corona की पहली और दूसरी लहर भी आई थी.
चुकी यह आस्था और विश्वास से जुड़ा प्रोजेक्ट है इसलिए इसमें शुभ मुहूर्त का भी विशेष ख्याल रखा गया है. उद्घाटन के लिए शुभ मुहूर्त निकालने की जिम्मेदारी आचार्य गणेश्वर शास्त्री को सौंपी गई थी.
मालूम हो कि यह वही आचार्य गणेश्वर शास्त्री हैं जिन्होंने अयोध्या में राम मंदिर शिलान्यास का शुभ मुहूर्त निकाला था और प्रधानमंत्री मोदी ने अयोध्या में शिलान्यास किया था.
उद्घाटन के लिए शुभ मुहूर्त के रूप में रेवती नक्षत्र का चयन किया गया है और दोपहर में मात्र 20 मिनट के भीतर ही उद्घाटन का कार्य संपन्न होगा.
कल उद्घाटन के अवसर पर अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहेंगे. जिसमें 12 ज्योतिर्लिंगों और 51 सिद्ध पीठों के पुजारियों की भी उपस्थिति रहेगी.
13 दिसंबर से 14 जनवरी तक भव्य काशी दिव्य काशी कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. 14 से लेकर 16 दिसंबर तक काशी के हर घर में बाबा का विशेष प्रसाद वितरित किया जाएगा. इसके संबंध में आज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिये हैं.
काशी(Kashi) में चल रही तैयारियों को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने ट्विटर हैंडल से कई वीडियो पोस्ट किए हैं. इन वीडियो में काशी की भव्यता
तैयार है काशी! #DivyaKashiBhavyaKashi pic.twitter.com/KhEm0pmKmo
— Rajnathsingh_in (@RajnathSingh_in) December 12, 2021
मालूम हो कि आज से 352 साल पहले ही भी काशी का जीर्णोद्धार किया गया था और ऐसा करने वाली थी अहिल्याबाई होल्कर.उन्होंने 1609 ईस्वी में काशी का पुनरुद्धार किया था. उनका नाम आज भी देश सहित काशी में बड़े ही सम्मान से लिया जाता है.