केंद्र सरकार के IAS Cadre Amendment Rule से राज्यों को है डर कि इससे राज्यों के अधिकार हो जाएंगे सीमित, कई राज्यों ने सुर में सुर मिलाते हुए कहा यह संघीय ढांचे के खिलाफ
क्या है IAS Cadre Amendment Rule, क्या यह सच है कि इससे राज्यों को है अधिकार छीनने का खतरा
केंद्र सरकार इस बजट सेशन(Budget Session) में IAS अधिकारियों की केंद्रीय नियुक्ति के संबंध में यानी राज्यों से केंद्र बुलाए जाने के संबंध में पुराने नियमों को बदलने के लिए एक संशोधन विधेयक लाने जा रही है.
इस संशोधन को लेकर कई राज्य सरकारों ने विरोध दर्ज करवाना शुरू कर दिया है. बंगाल समेत कई अन्य राज्य सरकारों का कहना है कि अगर यह संशोधन हो जाता है तो निश्चित रूप से IAS/IPS अधिकारियों की नियुक्ति के संबंध में केंद्र सरकार की शक्तियां राज्य सरकार से बढ़ जाएंगी और राज्य को यह डर है कि केंद्र सरकार इसका गलत इस्तेमाल भी कर सकती है.
अभी जब किसी IAS या IPS अधिकारी को राज्य से केंद्र बुलाया जाता है तो राज्य सरकार से भी सहमति लेनी होती है लेकिन अगर राज्य सरकार केंद्र सरकार के निर्णय से संतुष्ट नहीं हो तो यह नियुक्तियां अक्सर टल जाती हैं.
इसके पीछे जो मूल कारण है वह यह है कि जब राज्य सरकार से सहमति मांगी जाती है तो राज्य सरकार की सहमति के लिए कोई समयसीमा तय नहीं है.
केंद्र और राज्य के बीच विवाद की स्थिति में केंद्र का निर्णय सर्वोपरि: यहां यह बताना जरूरी है कि केंद्र और राज्य के बीच विवाद की स्थिति में केंद्र का निर्णय सर्वोपरि होगा ऐसा वर्तमान नियम में व्यवस्था है लेकिन राज्य कब तक सहमति दें इसके लिए समय सीमा का जिक्र कहीं भी नहीं है.
नए नियम में एक निर्धारित समयावधि के बाद राज्य सरकार को IAS IPS अधिकारी को राज्य सेवा से मुक्त करना अनिवार्य हो जाएगा. बस इसी बात को लेकर कई राज्य सरकार इसका विरोध कर रही हैं.
संशोधन पर संविधान विशेषज्ञों की राय: इस संशोधन पर संविधान विशेषज्ञों की जब हमने राय लेनी चाही तो उनका कहना है कि एक प्रकार से केंद्र सरकार के इस निर्णय को सही ठहराया जा सकता है क्योंकि समय सीमा नहीं होने के कारण केंद्रीय कार्यो में देरी होती है.
वहीं विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि भारत में सत्ता का ढांचा ऐसा है जिसमें यह जरूरी नहीं है कि जिस पार्टी की केंद्र में सरकार हो उसी पार्टी की राज्य में भी सरकार हो. इस कारण अधिकारियों की केंद्रीय नियुक्ति के दौरान राज्य और केंद्र के बीच विवाद की स्थिति उत्पन्न होने की प्रबल संभावना रहेगी.
मालूम हो कि बीते साल पश्चिम बंगाल में भी एक IAS अधिकारी को लेकर काफी विवाद हुआ था और केंद्र और राज्य सरकार आमने-सामने आ गई थी.