Essential Medicines Price: आवश्यक दवाओं की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि पर सरकार का बयान, कीमतों की वृद्धि के लिए WPI को ठहराया जिम्मेदार, कहा सरकार की दवाओं के दाम को नियंत्रण करने में कोई भूमिका नहीं
देश में महंगाई(Inflation) बढ़ती जा रही है. जिससे आम से लेकर खास तक परेशान हैं लेकिन आवश्यक दवाओं(Essential Medicines) के दाम बढ़ने के बाद सरकार जनता और विपक्ष के सीधे निशाने पर आ गई है.
आवश्यक दवाओं के मूल्य वृद्धि को लेकर मचे हंगामे के बीच स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडविया का एक बयान आया है. जिसके बाद आवश्यक दवाओं के मूल्य को लेकर चर्चा का बाजार गर्म हो गया है.
भारत के स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडविया ने आवश्यक दवाओं की कीमतों में वृद्धि का ठीकरा थोक मूल्य सूचकांक(WPI) पर फोड़ा है. उन्होंने कहा है सरकार ने दवाओं के दाम नहीं बढ़ाए और ना ही सरकार दवाओं की कीमतों को नियंत्रित करती है.
स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडविया का कहना है कि आवश्यक दवाओं की कीमत (Price Essential Medicines) थोक मूल्य सूचकांक (WPI) के बढ़ने और घटने पर निर्भर है. अगर थोक मूल्य सूचकांक में वृद्घि दर्ज होती है तो दवाओं का मूल्य पड़ता है. जबकि इसमें कमी आने पर दवाओं के मूल्य में स्वाभाविक रूप से कमी आती है.
मालूम हो कि कुछ दिन पहले ही 800 आवश्यक दवाओं के दाम बढ़ाए गए हैं जिसमें पेरासिटामोल की दवा भी शामिल है. आवश्यक दवाओं के दाम बढ़ने से निश्चित रूप से पहले से ही महंगाई की मार झेल रहे आम आदमी की जेब पर ज्यादा असर पड़ेगा.
बंगाल में बढ़ी हुई कीमतों को लेकर धरना प्रदर्शन
बताते चलें कि देश में सिर्फ दवाओं के दाम ही नहीं बल्कि खाद्य सामग्रियों के दाम भी बेतहाशा से पढ़ रहे हैं. वहीं पेट्रोल और डीजल ने तो पहले ही बेड़ा गर्क कर रखा है. बीते दिनों कमर्शियल गैस सिलेंडर के दाम में भी ₹250 की वृद्धि की गई.