किसी भी लोकतांत्रिक पद को ग्रहण करते और छोड़ते समय संवैधानिक मूल्यों, नैतिकता और शिष्टाचार का पालन करना अनिवार्य माना जाता है और यह बात और भी जरूरी हो जाती है जब बात विश्व की सबसे पुरानी लोकतांत्रिक व्यवस्था से जुड़ी हो.
अमेरिका के इतिहास में डोनाल्ड ट्रंप शायद पहले राष्ट्रपति होंगे जिनका कार्यकाल विवादों और विडंबनाओं से इतना अधिक भरा रहा.
डोनाल्ड ट्रंप ने अनेक मौकों पर परंपराओं को तोड़ा है, मर्यादाओं को तार-तार किया है लेकिन ताजा घटनाक्रम अपने आप में बहुत ही ज्यादा चौंकाने वाला और शर्मसार करने वाला है.
डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति पद पर रहते हुए व्हाइट हाउस को छोड़ने वाले पहले राष्ट्रपति बन गए.
अमेरिका में यह परंपरा रही है जब भी कोई राष्ट्रपति अपने कार्यकाल को पूर्ण कर वाइट हाउस को छोड़ता है तो वह एक विशेष विमान से अपने गंतव्य तक जाता है.
इस विशेष विमान की व्यवस्था वाइट हाउस प्रशासन द्वारा की जाती है. लेकिन डोनाल्ड ट्रंप ने विशेष विमान के बजाय एयर फोर्स वन से फ्लोरिडा के लिए रवाना हो गए.
इससे उन्होंने जहां राष्ट्रपति पद की मर्यादा को तार-तार किया वहीं अपने समर्थकों को यह संदेश दिया कि वह अभी भी अमेरिका के राष्ट्रपति हैं क्योंकि एयर फोर्स वन पर सिर्फ और सिर्फ अमेरिका के राष्ट्रपति ही यात्रा कर सकते हैं.
तकनीकी रूप से अगर देखा जाए तो ट्रंप AIR FORCE ONE पर यात्रा करने के लिए अधिकृत थे क्योंकि उन्होंने अभी राष्ट्रपति का पद छोड़ा नहीं था. लेकिन शिष्टाचार और नैतिक मूल्यों के आधार पर देखा जाए तो यह सही नहीं है.
मालूम हो कि जब ओबामा ने व्हाइट हाउस छोड़ा था तो उनके लिए भी विशेष विमान की व्यवस्था की गई थी जिसका नाम स्पेशल 44 था क्योंकि ओबामा अमेरिका के 44 में राष्ट्रपति थे .
वहीं JOE BIDEN ने AMERICA के 46 में राष्ट्रपति के रूप में पदभार ग्रहण कर लिया है. America की पहली महिला उपराष्ट्रपति ( FIRST WOMEN VICE PRESIDENT) के रूप में KAMALA HARRIS ने भी अपने पद की शपथ ले ली है..
Kamala Harris का संबंध भारत से है इनके पूर्वज भारत के दक्षिणी राज्य तमिल नाडु में रहते थे.
मालूम हो कि डोनाल्ड ट्रंप शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं हुए. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक White House में डोनाल्ड ट्रंप ने अंतिम रात काम करते हुए गुजारी.
WHITE HOUSE में प्रवेश करने के तुरंत बाद Joe Biden नें ट्रंप के कई फैसलों को बदल दिया.
जिसमें सबसे प्रमुख फैसला जलवायु परिवर्तन से संबंधित पेरिस जलवायु समझौता (PARIS CLIMATE Agreement) से फिर से जुड़ना है. WHO से जो दूरी डोनाल्ड ट्रंप ने बना ली थी उसको भी नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ने खारिज कर दी है.शुरुआती रुझानों से ऐसा लगने लगा है कि अमेरिका ने फिर से व्यवहारिक, मानवीय और लोकतांत्रिक मुद्दों से जुड़ने के प्रयास को प्रारंभ कर दिया है.
नेतृत्व बदलाव का सीधा असर भारत और अमेरिका के रिश्तों पर भी पड़ेगा. अब देखना यह है कि जो गर्मजोशी नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच थी वह नवनिर्वाचित राष्ट्रपति JOE BIDEN और भारतीय प्रधानमंत्री NARENDRA MODI के बीच बनी रहती है या नहीं. भारत और अमेरिका के बीच संबंध बहुत हद तक अमेरिका का चीन के प्रति क्या रुख रहेगा उस पर भी निर्भर करता है. ट्रंप के शासनकाल में अमेरिका और बीजिंग के बीच के संबंध बहुत मधुर नहीं रहे थे. कई मौकों पर डोनाल्ड ट्रंप ने चीन की कड़ी आलोचना की थी खासकर COVID19 के मामले पर.
नरेंद्र मोदी और Joe Biden के बीच पहली मुलाकात G-7 के मंच पर होने की संभावना है. मालूम हो कि Britain के प्रधानमंत्री ने प्रधानमंत्री मोदी को G-7 के लिए आमंत्रित किया है…
https://youtu.be/huQy2r1zD_E