Captain Amarinder Singh ने पंजाब(Punjab) में कांग्रेस की राह मुश्किल कर दी है. कैप्टन अमरिंदर सिंह जल्द ही नई पार्टी बनाएंगे. कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि अगर किसान आंदोलन का फैसला किसानों के पक्ष में आता है तो बीजेपी(BJP) से गठबंधन करने को लेकर भी कर सकते हैं विचार.
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सितंबर में ही कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था. कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से नाराज चल रहे थे क्योंकि कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें पंजाब के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने को कहा था.
कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व के कहने पर कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस्तीफा तो दे दिया था लेकिन उन्होंने इसे अपना अपमान बताते हुए पार्टी से भी इस्तीफा दे दिया. पार्टी से इस्तीफा देने के बाद ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि कैप्टन अमरिंदर सिंह बीजेपी में शामिल हो सकते हैं.
बीजेपी में शामिल होने को लेकर कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस्तीफे के तुरंत बाद यह साफ कर दिया था कि वह कांग्रेसमें तो अब नहीं है लेकिन वह बीजेपी में भी शामिल नहीं हो रहे हैं. लेकिन इसके तुरंत बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अमित शाह से मुलाकात की थी.
इस मुलाकात के बाद कुछ मीडिया रिपोर्ट में यह भी खबर सामने आ रही थी कि कैप्टन अमरिंदर सिंह को कृषि मंत्री का प्रभार दिया जा सकता है. लेकिन अब यह साफ हो गया है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह बीजेपी में शामिल नहीं हो रहे हैं.
कैप्टन अमरिंदर सिंह बीजेपी में शामिल हो या ना हो लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बीजेपी का पंजाब में काम आसान जरूर कर दिया है. अब कांग्रेस को अपने घर में ही चुनौती मिल रही है.
पहले तो कांग्रेस के सामने मुख्यतः एक ही पार्टी थी, आम आदमी पार्टी, लेकिन अब पंजाब में कांग्रेस के सामने आम आदमी पार्टी के साथ साथ कैप्टन अमरिंदर सिंह भी होंगे. जिससे कि कॉन्ग्रेस को खासा नुकसान होने की संभावना है.
कांग्रेस ने चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बना कर दलित कार्ड खेला था. लेकिन कैप्टन के बगावती तेवर और सिद्धू के तुनक मिजाजी के कारण यह समीकरण बिगड़ता नजर आ रहा है. कैप्टन अमरिंदर सिंह के नई पार्टी बनाने के बाद खासकर उच्च वर्ग के वोटरों का विकेंद्रीकरण संभव है.
कैप्टन अमरिंदर सिंह एक अनुभवी राजनेता हैं फिर भी अगर वह कांग्रेस में होते तो निश्चित तौर पर तो यह नहीं कहा जा सकता है कि कांग्रेस को इसका लाभ मिलता ही. क्योंकि कैप्टन अमरिंदर सिंह को लेकर पंजाब में एंटी इनकंबेंसी फैक्टर का डर था.
लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह के नई पार्टी बनाने के बाद पंजाब में कांग्रेस के लिए नेतृत्व संकट का सवाल भी सामने उठ खड़ा हुआ है. चरणजीत सिंह चन्नी मजबूत राजनेता जरूर है लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह के सामने उनकी छवि उतनी मजबूत नहीं है.
वैसे भी जब कोई नेता अपनी पार्टी से बगावत करता है तो उसकी छवि बदल जाती है.अमरिंदर सिंह के प्रति जो नाराजगी पंजाब के लोगों में पहले देखने को मिल रही थी अब वही नाराजगी सहानुभूति में बदलती हुई नजर आ रही है.
इस सहानुभूति का फायदा कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ-साथ बीजेपी को भी होने की संभावना है. अगर गौर से देखा जाए तो अभी बीजेपी और कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच की दूरी बहुत ज्यादा नहीं है.
अगर किसान आंदोलन को लेकर कुछ समझौता हो जाता है तो बीजेपी और कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब में सरकार बनाने की स्थिति में आ सकते हैं ऐसा कहना अभी बहुत जल्दबाजी होगी.
लेकिन अगर आम आदमी पार्टी पिछली बार के मुकाबले और बेहतर प्रदर्शन कर ले तो कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ आम आदमी पार्टी का समझौता संभव हो सकता है. इशारों-इशारों में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि समान विचारधारा वाली पार्टियों से वह समझौता कर सकते हैं.