Budget 2022 से किसानों को क्या मिला इस पर कृषि मंत्री का गोल मटोल जवाब वहीं किसान फिर से आंदोलन को हो रहे हैं तैयार

Budget 2022
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Budget 2022 से किसानों को बहुत ज्यादा उम्मीदें थी लेकिन सरकार से उन्हें कोई खास राहत नहीं मिली जानिए इस पर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने क्या कहा

Budget 2022-23 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा कल संसद के पटल पर रख गया,अनुमानों और अटकलों का सिलसिला थम चुका है और अब बजट के विश्लेषण का दौर शुरू हो चुका है.

जहां इस बजट को आनंद महिंद्रा(Anand Mahindra) जैसे उद्योगपति दबे स्वर में ही सही लेकिन बेहतर बता रहे हैं तो आम जनता से लेकर विपक्षी नेता और किसान नेताओं द्वारा इस महंगाई बढ़ाने वाला बजट बताया जा रहा है.

इस बजट(Budget 2022) में अगर कुछ घोषणाओं को छोड़ दें तो आम लोगों को ज्यादातर क्षेत्रों में निराशा हाथ लगी है . अपने बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा गरीबी(Poverty) शब्द का इस्तेमाल मात्र दो बार किया गया.

अगर किसानों की बात करें तो उन्हें भी इस बजट में कोई खास तवज्जो नहीं दी गई है. किसानों को इस Budget से बहुत ज्यादा उम्मीदें थी लेकिन सरकार ने उन्हें निराश किया है.

किसानों को इस बजट से कोई खास लाभ नहीं हुआ है इस बात का पता कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा एक टीवी चैनल को दिए गए इंटरव्यू से भी चलता है.

न्यूज़ चैनल abp news को दिए गए इंटरव्यू में किसी मंत्री नरेंद्र तोमर ने कोई ठोस बात नहीं कही जिससे कि यह उम्मीद जग सके कि corona त्रासदी से लड़ते हुए किसानों के लिए सरकार ने कोई बड़ी राहत दी हो.

हां यह जरूर है कि नरेंद्र तोमर ने भी इस बजट(Budget 2022) को अन्य बीजेपी नेताओं की तरह ही ग्रोथ(Growth) को बढ़ाने वाला कहा है. नरेंद्र तोमर ने कृषि बजट में वृद्धि की बात कही है लेकिन आंकड़ों से ऐसा लगता है यह कोई भारी वृद्धि नहीं है.

कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा कि कृषि के लिए बीते वित्त वर्ष 2021-22 में 1 लाख 23 हजार करोड़ का बजट था जबकि इस बार बजट 2022 तक के लिए इसे बढ़ाकर 1 लाख 32 हजार करोड़ कर दिया गया है.

कृषि मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार तकनीक आधारित खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है और इससे किसानों की आमदनी में निश्चित रूप से वृद्धि होगी.

वहीं जिन विवादित 3 कृषि कानूनों को वापस लिया गया उसको लेकर किसी मंत्री ने फिर वही पुराना राग अलापा है कि कृषि कानून किसानों की भलाई के लिए था.

दूसरी तरफ बीजेपी नेताओं को पश्चिमी यूपी में कई विधानसभा क्षेत्रों में भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है और यहां तक कि उन्हें वहां से भागना भी पड़ रहा है.

किसान द्वारा कृषि कानूनों को वापसी लेने के बाद भी किसानों पर दर्ज मुकदमे और गन्ना मूल्य को लेकर कोई बड़ी राहत नहीं देने के बाद किसान एक बार फिर से आंदोलित हो रहे हैं और किसान नेताओं के बयानों से ऐसा लग रहा है कि जल्द ही फिर से कोई बड़ा आंदोलन होने वाला है.

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