Kota Coaching Students Suicide Case: कोटा राजस्थान में कोचिंग में पढ़ने वाले 3 छात्रों की मौत से कोचिंग संस्थानों के तौर-तरीके सवालिया घेरे में

Kota Coaching Students Suicide Case
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Kota Coaching Students Suicide Case: राजस्थान के कोटा में मेडिकल और इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहे 3 छात्रों की मौत के बाद शासन प्रशासन पर उठ रहे हैं सवाल कोचिंग संस्थानों पर भी लोगों की नाराजगी

भारत का कोचिंग हब राजस्थान का कोटा(Kota Rajasthan) एक बार फिर से सुर्खियों में है. दरअसल Kota में  Medical और  Engineering की तैयारी कर रहे 3 छात्रों की मौत संदिग्ध परिस्थिति में हो गई है. अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि यह मौत आत्महत्या(Suicide Case) है या फिर हत्या या स्वाभाविक मौत.

जिन छात्रों की मौत हुई है(Kota Students Died) उनकी उम्र 16, 17 और 18 साल बताई जा रही है. 3 में से 2 छात्र बिहार के रहने वाले हैं. जबकि एक छात्र मध्य प्रदेश का रहने वाला है. जिन 3 छात्रों की मौत हुई है उनमें से  दो छात्र जो कि आपस में मित्र भी थे और बिहार के रहने वाले थे उनमें से एक छात्र मेडिकल (Medical NEET Exam) की तैयारी कर रहा था जबकि दूसरा छात्र इंजीनियरिंग(IIT) की तैयारी कर रहा था. दोनों ही छात्र अगल-बगल के कमरों(Rooms) में रहते थे.

तीसरा छात्र जो कि मध्य प्रदेश का रहने वाला था और उसकी उम्र 18 साल बताई जा रही है. वह मेडिकल की तैयारी कर रहा था. कोटा में Coaching Students की मौत का यह कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी कई छात्रों ने आत्महत्या की है. जिसके बाद कोटा के कोचिंग संस्थानों के रवैया को लेकर कई सवाल खड़े हुए थे और वह सवाल अभी भी मुंह बाए हुए हैं.

बताते चलें कि कोटा में Medical NEET और IIT JEE की तैयारी कर रहे छात्रों पर प्रतियोगिता परीक्षाओं में पास करने का एक अतिरिक्त दबाव होता है और अक्सर ऐसी बातें कही जाती है कि यह अतिरिक्त दबाव कोचिंग संस्थानों के द्वारा दिया जाता है जिससे कि छात्र अच्छा से अच्छा प्रदर्शन करे. लेकिन इस अच्छे प्रदर्शन के दबाव में छात्रों द्वरा कभी-कभी आत्महत्या जैसे कदम उठा लिए जाते हैं.

जिन 3 छात्रों की मौत हुई है अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि उनकी मौत कैसे हुई है. तीन में से दो छात्र जो कि बिहार के रहने वाले हैं उनके नाम अंकुश और उज्जवल बताए जा रहे हैं. जबकि तीसरे छात्र का नाम प्रणव बताया जा रहा है, जो मध्य प्रदेश का रहने वाला है.

जब भी राजस्थान में छात्रों की आत्महत्याओं की घटनाएं सामने आती हैं तो सरकार सिर्फ आश्वासन देती है कि इसके लिए जरूरी और कड़े कदम उठाए जाएंगे. लेकिन कुछ दिनों बाद फिर सब कुछ सामान्य हो जाता है.

बताते चलें कि राजस्थान सरकार द्वारा 3 साल पहले यानी साल 2019 में राज्य में खास कर कोटा में पढ़ने वाले छात्रों के बीच दबाव और तनाव को कम करने तथा छात्रों को एक सुव्यवस्थित और स्वस्थ माहौल देने को लेकर कोचिंग संस्थानों के नियमन के लिए एक राज्य स्तरीय समिति का गठन किया गया था और एक मसौदा भी तैयार किया गया था. लेकिन अभी तक इस मसौदे पर सरकार की क्या कार्यवाही रही है इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं है.

 

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