Anand Mohan Release Controversy: बिहार आनंद मोहन के फिर से जेल जाने की संभावना क्यों है कम जानिए इसके मजबूत आधार

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Anand Mohan Release Controversy: आनंद मोहन को फिर से जेल भेजे जाने की अटकलें लेकिन इसकी संभावना बेहद कम जानिए ऐसा क्यों

Bihar Anand Mohan Realease Controversy: बिहार के बाहुबली नेता आनंद मोहन की रिहाई के साथ ही बिहार का सियासी पारा बेहद गर्म हो गया है. अब तो यह मामला सिर्फ बिहार ही नहीं बल्कि पूरे भारत में गूंज रहा है लेकिन इस सबके बीच सबसे बड़ी बात यह है कि क्या जिस प्रकार से आनंद मोहन सिंंह की रिहाई को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं तो क्या आनंद मोहन को फिर से जेल जाना होगा? अगर नहीं तो क्या है इसके पीछे कारण. आखिर आनंद मोहन अपनी रिहाई और फिर से जेल ना जाने को लेकर इतने निश्चिंत क्यों दिखाई दे रहे हैं.

बिहार के पूर्व सांसद और बाहुबली नेता आनंद मोहन(Anand Mohan) को बिहार सरकार की तरफ से जेल मैनुअल में हुए बदलाव के कारण रिहाई मिल गई है. उनके साथ अन्य 26 लोगों को भी रिहा किया गया है लेकिन सबसे ज्यादा सुर्खियां आनंद मोहन को लेकर बन रही हैं क्योंकि आनंद मोहन पर एक IAS अधिकारी (G Krishnaiah Bihar) जोकि तत्कालीन DM भी थे उनकी नृशंस हत्या करवाने का आरोप लगा था और इसी मामले में उन्हें मृत्यु दंड भी दी गई थी लेकिन हाईकोर्ट ने मृत्युदंड की सजा को कम करके उम्रकैद कर दी थी और अब करीब 18 साल के बाद आनंद मोहन को जेल से मुक्ति मिल गई है.

आनंद मोहन के जेल से छूटने को लेकर खासकर विपक्षी दलों और आईएएस एसोसिएशन ने तीखी प्रतिक्रिया दी है और अपना विरोध प्रकट किया है. अब यह मामला फिर से हाईकोर्ट पहुंच गया है लेकिन इन सबके बीच बात यह आती है कि क्या आनंद मोहन की रिहाई को लेकर हाईकोर्ट कुछ अलग बातें कहेगा और आनंद मोहन को फिर से जेल जाना पड़ेगा तो आइए जानते हैं आनंद मोहन के पक्ष में कुछ मजबूत तथ्य.

आनंद मोहन बिहार के गोपालगंज जिले के तत्कालीन DM कृष्णाया की हत्या के लिए लोगों को उकसाने के मामले में दोषी करार दिए गए थे. यह मामला 1994 का है. आनंद मोहन को सजा के रूप में फांसी हुई थी लेकिन हाईकोर्ट ने उनकी सजा को उम्र कैद में बदल दिया था. अब जब आनंद मोहन की रिहाई हुई है तो लोगों का सवाल है कि क्या आनंद मोहन को फिर से जेल भेजा जाएगा क्या हाई कोर्ट बिहार सरकार के द्वारा लिए गए निर्णय को गलत ठहरा आएगा तो यहां पर सवाल उठता है कि आनंद मोहन की रिहाई कोई एक-दो साल में नहीं हुई है बल्कि आनंद मोहन ने अपनी जिंदगी के 18 साल सलाखों के पीछे बिताए हैं.

अगर बीते कुछ सालों में लोगों की जेल से रिहाई से जुड़ी खबरों पर गौर करें तो राजीव गांधी की निर्मम हत्या में शामिल दोषियों को भी जेल से रिहा कर दिया गया था. इसके पीछे जो तर्क था वह यह था कि उन्होंने अपनी जिंदगी के कई साल सलाखों के पीछे बिताए हैं और अब ऐसे में उन्हें जेल में नहीं रखा जाना चाहिए. मालूम हो कि राजीव गांधी की हत्या जघन्य हत्या किस श्रेणी में आती है.

जिस प्रकार से राजीव गांधी की हत्या की गई थी और उनके साथ कई और लोगों की भी मौत हुई थी वह बेहद ही खौफनाक था. ऐसे में अगर बिहार में आनंद मोहन का मामला देखा जाए तो जब यह मामला हाईकोर्ट जाएगा तो वहां पर इन सभी मामलों को भी सामने रखा जाएगा. अभी हाल में ही गुजरात में बिलकिस बानो के बलात्कार में शामिल लोगों को भी गुजरात सरकार द्वारा जेल से रिहा कर दिया था. जिसकी काफी आलोचना हुई थी और अभी यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है. ऐसे में यह कहना कि आनंद मोहन का मामला बेहद ही अलग है तो यह सही नहीं है.

आनंद मोहन की रिहाई के बाद अगर आनंद मोहन की बॉडी लैंग्वेज को देखें तो वह बेहद ही रिलैक्स मूड में नजर आ रहे हैं और इतने हो हंगामा के बाद भी वह अपनी रिहाई पर उठ रहे तमाम सवालों के बीच बेहद निश्चिंत और तनावमुक्त हैं. इससे यह तो निष्कर्ष निकलता ही है कि आनंद मोहन को फिर से सलाखों के पीछे भेजे जाने की कोई फिक्र नहीं है लेकिन अभी यह पूरी तरह से साफ नहीं है कि क्या आनंद मोहन फिर से जेल जाएंगे या नहीं. ये अलग बात है कि आनंद मोहन के पक्ष में काफी उदाहरण भरे पड़े हैं और इन उदाहरणों का आनंद मोहन को लाभ मिलेगा इसमें कोई दो राय नहीं है.

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